शौर्य का प्रमाण हूँ, मैं वीरता की शान हूँ।
हूँ कालजयी योद्धा, मैं धैर्यता की तान हूँ।।
डर नहीं, न खौफ़ है, बाज़ुओं में जोश है,
हार नहीं मानता, माँ भारती की आन हूँ।।
सौ गीदडों से घिरा, मुख से टपकता रक्त।
छप्पन इंच का सीना,मज़बूत इरादा सख़्त।।
शेर की दहाड़ सा, प्राण गर्जना लिए हुए,
शहीदों का सम्मान,देशवासियों की जान हूँ।।
नतमस्तक न होना सीखा, करे दुश्मन भी जिसका वंदन।
आओ सब शीश झुकाकर, करें अभिनदंन का अभिनंदन।।
निधि गुप्ता
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