Nidhi Choudhary  
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मेरे शब्द, गहरे शब्द ❤️
Joined 7 April 2021


मेरे शब्द, गहरे शब्द ❤️
Joined 7 April 2021
5 MAR 2024 AT 18:36

मैं बेवक्त वही मर जाऊं,
वो एक बार हंस के देख तो ले मुझे।
ये बात तो मैं उसको तब बोल नहीं पाया,
अब बोल दूं! वो एक बार मिल तो ले मुझे।

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5 MAR 2024 AT 18:21

बेरोजगारी में लगाया था हमनें भी एक सच्चा दिल,
अब किसी और के मिलते ही दूसरा दिल लगा लिया करते हैं।
वो कैसे मेरे जूठे इश्क़ को सच समझ ले बस,
ये एक बात बनाने में पूरा दिन गुजार दिया करते हैं।
और जूठा इश्क़ करना भी कुछ आसान नहीं है साहेब!
बहुत लोग इस खेल में अपना ईमान गवां दिया करते हैं।
और हम तो ख़ुद को, बादशाह कर चुके हैं इस खेल का,
हर किसी को एक वक्त के लिए अपना बना लिया करते हैं।
और सच कहें तो खुद ही को हम गिरा चुके हैं अब इतना,
एक मतलब तक ही इंसान से बात किया करते हैं।
और तब जो बेरोजगारी में लगाया था ना एक दिल,
इस वक्त तो हम दिलों का व्यापार किया करते हैं।
और किसी के दिल को तोड़ना, मोड़ना, तोड़के मरोड़ना!
पेशा बन चुका है अपना।
फिर कोई कुछ भी सोचे समझे भई,
हम तो बस कैसे भी अपना काम निकाल लिया करते हैं।

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1 MAR 2024 AT 15:20

क्यूंकि वो शख़्स व्हाट्स ऐप के चैट में साथ है,
उससे बात करना हर दफा अच्छा लगता है,
उससे मिलने को ये दिल भी बेताब रहता है।

हां उसको पास रखा हुआ मैंने,
अपने हर ज़रूरी काम को भूलकर,
उससे दूर जाने का मन भी अभी नहीं।

ना उसका मन होता कि मुझे ये कह दे,
जाओ अपने लक्ष्य पे ध्यान दो,
में तो यही हूं।

खाक अच्छा इंसान हुआ वो, जो ये नहीं कहता।
ख़ाक अच्छा इंसान हुआ में भी,
जो अपने लक्ष्य को पाने में कोई कोशिश भी नहीं कर रहा।

मुझे अभी मेरी जूठी दुनियां ही अच्छी लग रही,
और अच्छा लग रहा वो शख्स,
हम दोनों मिलकर वक्त को बर्बाद कर रहे हैं।

इस सच से दूर के कब वक्त हमें बर्बाद करदे,
दूसरो से मतलब निकाल रहा हूं,
उस शख़्स के क़रीब जानें के लिए।

मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा अगर मेरे लिए कोई कुछ
कर भी दे, मैने इज़्ज़त देना यूं तो नहीं सीखा,
कद्र भी क्यों करूं किसी की,
आख़िर मतलब भी तो कोई चीज़ है।

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13 DEC 2023 AT 0:59

तू मिला ही मुझे अभी अभी ही, है।
तुझे अपने दुख और बताऊं क्या!
तू चला ना जाए, ये सोच कर दिल डरता रहता है,
कैसे ? अपने दिल को मैं, समझाऊं क्या।
तू साथ नहीं है, पर साथ भी है,
तुझे फिर भी पास, बुलाऊं क्या?
कुछ कह तो सही, अब चुप क्यों है?
तू रूठा हो तो, अभी तुझे मनाऊं क्या??
तू हक़ रखता है मुझपे, तुझे हक़ भी है।
कुछ थोड़ा हक़ मैं भी जताऊं क्या।
तुझे फिक्र है मेरी, मैं मानती हूं।
थोड़ी फिक्र मैं भी, दिखाऊं क्या?
तू प्यार करता है, मगर दिखाता नहीं।
तेरी इस बात का जश्न मनाऊं क्या??
मैं प्यार करती हूं और दिखाती भी हूं।
तेरे अंदर भी ऐसा प्यार जगाऊं क्या??
कितना भी प्यार कर लो, तुझे कम लगता ही है।
अब और प्यार कहीं से उधार लाऊं क्या??

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13 DEC 2023 AT 0:42

वाकिफ नहीं हूं मैं अभी उसके साथ वक्त बिताने से,
फिर भी ये सुबह क्यों मुझे उसके साथ रह जाने के लिए
बैचेन करती है।
और भूल जाती हूं मैं उसके चेहरे के दीदार से अपने सभी गम,
ये उसकी आंखें ही हैं जो मुझे मेरे गमों से दूर ले जाने का
काम करती हैं।

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30 OCT 2022 AT 9:40

जो बात कह ना सको, उसे लिख दो।

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4 OCT 2022 AT 21:36

आगोश में उसके

तू महकता है मुझमें, इत्र सा कहीं।
पर क्यूं? मेरे जिस्म से, तेरी खुशबू जाती नहीं।

मेरी रूह तक को, तू साथ ले गया अपने।
पर क्यों? मेरी रूह भी, अब मुझमें समाती नहीं।

सुबह उठती तो हूं, तेरे आगोश में ही।
पर क्यूं? तेरे जिस्म को, ओढ़ मैं पाती नहीं।

तेरी धड़कनों की आवाज़ तो, सुन लेती हूं मैं ।
पर ना जाने क्यूं? मेरी धड़कने तुझ तक जाती नहीं।

तुझसे बेइंतहां मोहब्बत करने की, आदत है मुझे।
शायद मेरी एक यही आदत, तुझको मेरा बनाती नहीं।



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18 SEP 2022 AT 12:14

गले मिलना, ना मिलना तो तेरी मर्ज़ी है।
लेकिन तेरे चेहरे से लगता है, तेरा दिल कर रहा है।

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16 SEP 2022 AT 13:38

Country se pyar karti hoon
Community se nahi..

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25 JUN 2022 AT 10:21

वह जो अपना आधा समय पूजा में लगाता है,
और आधा समय किसी का बुरा सोचने में।
अर्थात् ऐसे व्यक्ति के पूजा करने का कोई अर्थ नहीं।

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