खुदा के वास्ते ही सही
खुद को कभी कभी आईना दिखा दिया करो
कितने महरूम मालूम होते हो ना
तो कभी कभी ख़ुद को मग़रूर बता दिया करो
चंद किस्सों में कैसे कहें कि तुम कैसे थे
जब आए बात तुम्हारी
तो कहानियां अपनी तुम ही बता दिया करो
चंद लिहाफें पड़ीं है अब भी वहीं कोने में
सर्द का मौसम है उठा लो ओढ़ लो उन्हें
यूं सिसकते सिसकते रात गुजारा ना करो
पैदाइश , फरमाइश , ख्वाहिश की कहानियों में
कोई कसर तो छोड़ा नहीं तुमने
अब सच कहना है ऐसा झूठ बोल कर
मिलने का कोई बहाना ना करो.....!!!
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