Nidhi   (Kabira)
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ठुकराओ , अब के प्यार करो
मैं नशे में हूं..........!!
Joined 18 September 2019


ठुकराओ , अब के प्यार करो
मैं नशे में हूं..........!!
Joined 18 September 2019
5 AUG 2023 AT 8:33

अगर
जो डूब जाए
तो कमी रह जाएगी
इक घर बनाने में
जिसमें मुझे अपने ख़्वाबों को
किसी आईने की तरह
संवारने हैं....!!!

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5 AUG 2023 AT 8:28

कभी खोली नहीं खिड़कियां शाम के आने पे
आज़ नाराज़ है वही सुबह ,चांद के चले जाने से..!!!?

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17 JUL 2023 AT 17:47

वक्त की फ़िक्र करते करते
छूट जायेगी इक दिन , ज़िन्दगी की बिसात
तुम गुनहगारों को अपने
ज़िंदगी में इतनी बड़ी जगह मत देना

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17 JUL 2023 AT 17:42

पहचान भी बड़ी अजीब चीज़ है साहिब
लोगों को अक्सर ये परेशान बहुत रखती है...!!

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11 JUN 2023 AT 18:31

ज़िंदगी को जीने से भी पहले बस में करना
शायद हमने सीखा नहीं कभी ज़िंदगी को किसी हद में रखना...!!

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11 JUN 2023 AT 18:28

कुछ ख्याल, गुफ्तगु करेंगे
कुछ सवाल, आरजू देंगे
ज़िंदगी में इम्तहानों के दिनों में यही वो बातें हैं
जो तुम्हें सुकून देंगे...!!

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11 MAR 2023 AT 11:08

यादें.... चंद पलों की मेहमान होती हैं
बनती भी हैं तो बिगड़ जाने को

ख़्वाबों से सीख लिया अब
वक़्त रहते रुखसत हो जाना
।।
जो थोड़ी देर और रुके
तो बन जाती हैं कहानियां
दिल का स्वाद कड़वी कर जाने को

गुलाम थे गुलाम बनकर रह गए
मैंने जाना खुदा के घर में रहकर
कोई हक़ नहीं मेरा
।।
कोई सवाल खड़ा करना
ख़ुद को बरी कर जाने को

मुस्कुरा कर जो चल देंगें तो याद रहेंगे
ज़रूरी नहीं हर बार दिल तोड़ें
किसी का
साथ छोड़कर जाने को....!??

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11 MAR 2023 AT 11:06

यादें.... चंद पलों की मेहमान होती हैं
बनती भी हैं तो बिगड़ जाने को

ख़्वाबों से सीख लिया अब
वक़्त रहते रुखसत हो जाना
।।
जो थोड़ी देर और रुके
तो बन जाती हैं कहानियां
दिल का स्वाद कड़वी कर जाने को

गुलाम थे गुलाम बनकर रह गए
मैंने जाना खुदा के घर में रहकर
कोई हक़ नहीं मेरा
।।
कोई सवाल खड़ा करना
ख़ुद को बरी कर जाने को

मुस्कुरा कर जो चल देंगें तो याद रहेंगे
ज़रूरी नहीं हर बार दिल तोड़ें
किसी का
साथ छोड़कर जाने को....!??

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10 MAR 2023 AT 9:49

वो कुछ बेचैन करती रातों में तुम ना मिले
वो दर्द भरी सांसों में हम तुम ना मिले

अब हम मिले तो कुछ बिछड़े हुए दिनों में
जहां जब भी अब हम मिले खामोशी में मिले

मैंने जाना की शब्द अब काफ़ी नहीं जो मेरे दिल में
तुझे माफ़ी दे दें
तुम बेखौफ थे अब भी मेरे बिछड़ जाने से

बेखबर
अब हम कभी ना मिलेंगे
मैं खुश हूं
आज़ ये बात का सच जानकर के.....

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27 NOV 2022 AT 18:46

खुदा के वास्ते ही सही
खुद को कभी कभी आईना दिखा दिया करो

कितने महरूम मालूम होते हो ना
तो कभी कभी ख़ुद को मग़रूर बता दिया करो

चंद किस्सों में कैसे कहें कि तुम कैसे थे
जब आए बात तुम्हारी
तो कहानियां अपनी तुम ही बता दिया करो

चंद लिहाफें पड़ीं है अब भी वहीं कोने में
सर्द का मौसम है उठा लो ओढ़ लो उन्हें
यूं सिसकते सिसकते रात गुजारा ना करो

पैदाइश , फरमाइश , ख्वाहिश की कहानियों में
कोई कसर तो छोड़ा नहीं तुमने
अब सच कहना है ऐसा झूठ बोल कर
मिलने का कोई बहाना ना करो.....!!!

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