था घाट वही , जलधार वही
नाविक की थी पतवार वही
फिर भी जाने क्यूं मन की लहरों ने
सुनीं अनजानी सी झनकार वहीं ♥️
हम भी थे वहीं , तुम भी थे वहीं
सब कुछ था वहीं,, सुलझा सुलझा
एहसासों के नैन दो चार हुए जब
सब कुछ लगा फिर उलझा उलझा ♥️
अब तुम भी थोड़ा सकुचाते हो,
पहले सा कहां बतियाते हो,
मेरे तो दिन का हाल ही क्या,,
सुना है तुम भी ग़ज़लें सुनकर
रात बिताते हो ♥️
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DOB= 15 October
M.A Education
Humsafar= Anshu ji (29th June 2006)
जो लिखी कुछ जाती हैं,
पढ़ी कुछ जाती हैं
पर शायद,,,,,,
समझी कुछ और
जाती हैं।-
हां, निश्चित ही एक कवच कुंडल साथ होता है,
पिता के लिए कहां जाड़ा, गर्मी , बरसात होता है।
इसकी फीस उसकी फीस ,पाई पाई का हिसाब होता है,, हां!
छेद चप्पल का हो या बनियान का सब कुछ नजरअंदाज होता है
सब जताते हैं, सब दिखाते हैं, प्यार को तौल जाते हैं
हां यहां भी उनके मौन में ही छिपा ये जज्बात होता है।
सबकी फिक्र सबकी चिंता दिन रात होती है हां मगर जिस बात पे
मां पूरा घर सिर पे उठा ले वहां भी उनको विश्वास होता है ।
बेटियों वाला घर हो तो हर काम बड़े तहज़ीब से होता है
राम से श्रीराम बनने के सफर में पिता का ही योगदान होता है।
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ये सोचना भी वाजिब है कि जिंदगी
गुजर जाएगी मेरी तेरी बाहों के सहारे ।❤️
आखिर उतना भी तू दूर नहीं
जितना ये फ़लक ये चांद सितारे।❤️
तू मेरा है, मैं तेरी हूं बस इतना सा
ही तो है ये दो दिलों के नाते ।❤️
कहां कैद में रखते हैं खुशबू को
ये फूल ये चमन के नज़ारे ।❤️
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हां थोड़ा उतार चढ़ाव तो बनता है,,
तब जाके कहीं मन की धरती पर
सुन्दर सुगन्धित पुष्प वो खिलता है।
जिसकी महक से सारा तपोवन महकता है।-
कुछ कहना था कुछ सुनना था ,,,
कुछ आंखों आंखो में पढ़ना था ।
पर कुछ खलिश सी रह गई थी दिल में,,,,
बात आई गई हो गई पल में।
लबों की तो औकात ही क्या
ये आँखें भी ठहर गई थी तुझमें।
कुछ कहना था हमें उनसे
पर वो सुनने को बेताब न था,,
कुछ सुनना था हमें उनसे
पर कहने को वो जज्बात न था ,,
रखा जो एक कदम पीछे हमनें
वहीं फूलों की बरसात हुई,,
मेरे अश्क धोते रहे निशां उसके
लोगों ने समझा कल रात बहुत बरसात हुई।
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झुमका हो या काजल
सबमें उनकी सादगी झलकती है,,,
ये आपकी मोहब्बत का कमाल है
नजरें जो सिर्फ उन्हें,,, सिर्फ उन्हें ढूंढती है ❤️-
आखिर उनसे बात करना,,
मिलना तो मुमकिन नहीं
अब क्या गुनाह है उनसे
ख्यालों में गुफ्तगू करना।
कहते हैं प्यार सच्चा हो तो
दूर से भी महसूस होता है,
यूंही नहीं राम रावण पर विजय होता है।-
क्यूं है ये बेचैनी,
क्यूं है मिलने की ये बेताबी ,,
ये बच्चों सी जिद क्यूं है,
क्यूं है ये आवारगी,,
वो पहली बार जब हम मिले
उस बात को भी बीते जमाने हुए ।
सब कुछ तो वही है, जाना पहचाना
मेरे सौ सवालों पर ,,
उनका एक ही जवाब आना ,,,,,,,
मेरा तो कदीम भी नया है मोहतरमा
और ये बात सोलह आने सच है जाना 🥰
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देखते देखते वक्त कहां से कहां आ गया
किंतु तुम आज भी वहीं हो,, दिल में मेरे-