Nida Rahman   (Nida Rahman)
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लफ़्ज़ लफ़्ज़ एहसास है... इन एहसासों में वो साथ है ❤️
Joined 24 December 2016


लफ़्ज़ लफ़्ज़ एहसास है... इन एहसासों में वो साथ है ❤️
Joined 24 December 2016
1 APR AT 8:01

प्रेम करके जान पाई
प्रेम की परिणीति सिर्फ़ हासिल करना नहीं
प्रेम, प्रेमी को जाने देना भी है।

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14 MAR AT 10:26

मोहब्बत के रंगों से सराबोर हो दुनिया
नफ़रतों का कहीं नामों निशान न हो।

रंग मुबारक, खुशियां मुबारक

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13 FEB AT 0:24

अना, ज़िद
गुरूर और ताकत
से दो मोहब्बत करने वाले
अलग तो किए जा सकते हैं
लेकिन उनका इश्क़ नहीं मार सकते,

इंसान जिस्मों को जुदा करके
दुनियावी रिश्तों को हासिल कर इतराता फिरता है
लेकिन वो खाली हाथ होता है
उसे न रूह हासिल होती है
ना इश्क़....

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7 FEB AT 13:38

हर दफ़े सुर्ख़ गुलाब
मैंने अपने आप को दिया
तुम्हारे नाम से,

यकीं करो कि तुम्हारी कमी
मैंने कभी, ख़ुद को नहीं होने दी है।

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7 DEC 2024 AT 11:24

तुमसे बिछड़ने के बाद ये जाना
ज़ख़्म मोहब्बत का हो तो उम्र भर नहीं भरता।

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16 AUG 2024 AT 15:40

हकीकत ये है कि हर इंसान अकेला है। सबके अपने संघर्ष हैं। फिर भी हम हाथ थामे रह सकते हैं ताकि थोड़ी मुश्किल आसान हो जाएं।

लड़खड़ाते हुए हमें आकर कोई हाथ थाम ले तो उसे ख़ुदा की नेमत मान लेना चाहिए। सब भाग रहे हैं और इस भागने में थोड़ा ठहरना चाहते हैं।

थकन लाज़िमी है और इस थकन में हम सुस्ताना चाहते हैं। लेकिन सब अपना अपना सफ़र तय कर रहे हैं तन्हां। काश ये ग़म और उदासी हमेशा के लिए चली जाती।

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12 APR 2024 AT 17:00

सारे रंग, सारे लफ़्ज़
वार दिए तुम्हारे इश्क़ पे ,
अब वाजिब भी है
और फ़र्ज़ भी है
कि तुम इतराओ ख़ुद पे...

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10 APR 2024 AT 19:00

कोई मायूस ना हो
किसी का दिल ना टूटे
रब हर दिल को सुकून दे
रब सबको खुशी दे (आमीन )

चांद मुबारक
ईद मुबारक ❤️

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6 APR 2024 AT 10:40

ज़ख़्म जो जिस्म पे मिले
कब के भर गए वो तो,

रूह जो छलनी हुई
उसकी महरम कौन करे...

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5 APR 2024 AT 14:27

कुछ ग़म
इतने निजी होते हैं
कि हम ख़ुद से भी
उन्हें बांट नहीं सकते।

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