आंसू को यूँ न बहने दो अरविका,
हर जज़्बात को अल्फ़ाज़ में ढलने दो अरविका।-
Turning codes into creations and emotions into... read more
पेड़ हमेशा गाँव में ही रह जाते हैं,
पर उनके फल शहरों में महंगे बिक जाते हैं।
जिन्होंने सींचा खून-पसीने से हर टहनी को,
वो ही भूखे पेट नींद में सिमट जाते हैं।
ये दुनिया कीमत देखती है मेहनत नहीं,
जहाँ असली हाथ खाली, नकली ताज पहन जाते हैं।-
भीगे रास्ते, बारिश, और बाइक की रफ़्तार,
हर मोड़ पर बह रही थी दिल की पुकार।
एक तरफ़ समुंदर, लहरों की मुस्कान,
दूसरी ओर मैं बेफिक्र, बेपनाह, बेमिसाल उड़ान।
ना कोई मंज़िल, ना वक़्त की जंजीर,
बस मैं, मेरी बाइक और ये आज़ादी की तासीर।-
ये रात भी कुछ कहती है, पर मैं नि:शब्द हूँ,
जैसे जज़्बात तो हैं, मगर लफ़्ज़ों से डरता हूँ।
कमरे के कोने में रखी कुछ पुरानी किताबें,
हर पन्ने पे लिखा तेरा ही ज़िक्र पढ़ता हूँ।-
कोरा काग़ज़, स्याही, और ये तनहा रात,
लिखने चला हूँ मैं फिर तेरी हर इक बात।
हर लफ़्ज़ में बस गए हैं बीते जज़्बात,
पर कलम भी अब कहती है नि:शब्द बात।
तेरे बिना अधूरा लगे हर फसाना,
जैसे चाँद हो मगर न हो उसकी रात।
दिल की दीवारों पे तेरा ही नाम लिखा,
मगर लौटी है बस खामोशियों की सौगात।
मैंने चाहा तुझे हर हर्फ़ में बुनना,
पर हर स्याही में घुल गई तेरी ही याद।
अब जब भी लिखूं, तुझसे ही शुरू हो,
और खत्म हो जाए किसी नि:शब्द बात।-
घटाओं से शिकवा नहीं, हमें तो मौसमों से प्यार है,
बरसे या ना बरसे, हर पल तेरा इंतज़ार है।-
आँखों से रुक के ज़ुल्फ़ें जब चेहरे पे आईं,
लगने लगा जैसे शाम उतर आई हो हौले से।-
मैं बेहद सादगी पसंद इंसान हूं अरु,
हर दिल से जुड़े जज़्बातों का अरमान हूं।
दुनिया के दिखावटी मेले रास नहीं आते,
इसलिए नकाबपोश लोगों से मेरी बनती नहीं अरु।-
मेरे मन का शोर, निःशब्द सा लगता है,
जो कहना चाहूँ, वो लफ़्ज़ों से डरता है।
कलम उठती है, पर कांप जाती है,
हर शायरी में कुछ अधूरा रह जाता है।-
जो दिखते हैं, वही रहते हैं हर मोड़ पर,
हम चेहरे नहीं, किरदार संभालते।
ना दिखावे की आदत, ना झूठी बातों का शौक़,
हम ख़ामोशी से अपनी पहचान बना लेते।-