इश्क में गालिब हो जाना, सभी बेगाना हो जाना,
यही तो रस्में दूनियां है मिल जाना बिछड़ जाना।-
नि शब्द
(rashq_arz🖋️)
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जैसा हूं खुद की नज़रों में माशाल्लाह खुद्दार हूं ।
Joined 1 November 2020
16 SEP 2021 AT 14:36
16 SEP 2021 AT 12:51
यह तेरे मेरे फैसलें थे न तजुर्बा है अब,
आइंदा इश्क से बाज़ आ गया हूं मैं ।-
14 SEP 2021 AT 22:55
खिदमत और फरमादारी
अपने मां बाप की बड़ी ईमानदारी से करो, उनसे किया गया तुम्हारा सुलूक तुम्हारें बच्चें तुम्हें ही लौटाएंगे ।-
12 SEP 2021 AT 22:09
अमानत में खयानत का एहसास तब होता है जब तुम्हारा इश्क तुम्हारे ही सामने किसी और का हो जाए ।
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12 SEP 2021 AT 21:24
किसी की कीमत देखकर मत अंदाजा लगाओ बेहतर होने का,
अक्सर सस्ती चीजों की लाजवाब होती है ।-