यहां लोगों को चिखें सुनाई नहीं देती
और तुम चाहते हो
कोई तुम्हारी खामोशी समझे-
हिंदुस्तान
इक तारा आसमां क... read more
जिंदगी उस बंजर जमीं सी हो गई हैं
जहां बंजारे बसते तो है पर कूच कर जाते हैं।-
जरुरत की हर चीज बाजार में मिल जाती है
शहर में कहां किसे पड़ोसियों की याद आती है।
गांव की तरह किसी खुशखबरी उम्मीद मत रखना
यह शहर है यहां सिर्फ शोरगुल की आवाज आती है।-
गांव में बरसात शोर मचाती है,
और बच्चे उसका हौसला बढ़ाते हैं
शहर में बरसात चीखती है तन्हाई में।-
तारे टूटने के बाद कहां जाते हैं?
क्या होता है उन ख़्वाबों के साथ जो कभी पूरे नहीं होते?-
मुसाफिरों से कैसे मोहब्बत के कॉल करार
मंजिल किसी की एक नहीं
छोड़ जाएंगे किसी मोड़ पर...
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खुद की खुद्दारी पर सैकड़ों सवाल उठे
हम जब बरसात होने के बाद उठे।
मुझे खबर क्यों नहीं हुई,
मैं जिंदा तो हू
जहन में ऐसे वैसे ख्याल उठे
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रात ख्वाबों को सिरहाने रख कर,
मजबूरी की चादर ओढ़ कर सो गया
सुबह सादर समेट बस्ते में भर कर शहर को निकल गया
आज मजबूरी के हाथों हर कोई कितना मजबूर हो गया।-