जलो तो ए दीपक ! उस महफिल में जलना, जिसका प्रकाश समय ने लूट लिया है। जियो तो बन्धु ! वह जीवन जीना, जिसकी इतिहास बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है। पियो तो ए पीने वाले ! उस मस्ती को पीना, जिसे पीकर मौत भी अपना होश गंवा देती है। बरसो तो ए बून्द ! वहाँ बरसना, जहाँ दरिया उमड़ रहा है। ले सको तो ए सागर ! इस अभागे समाज की व्यथा और पीड़ा को जितना ले सको ले लो। और दे सको तो ए बन्धु ! उस मुस्कुराहट को दो, जो तेल और सिंदूर भी पाकर कृतकृत्य होती रहे। और हे पत्थर ! रह सको तो नींव में रहकर चूं मत करना, मैं तुम्हारे ही ऊपर मेरी आशाओं का सत मंजिला महल खड़ा करना चाहता हूँ। बन्धु मेरे गले में बाँहें डालकर स्नेह से झूल उठा।
पूज्य तन सिंह जी-
अपनी जिंदगी के मुजरिम भी हम
गवाह भी हम, वकील भी हम
जज भी हम....❣️
दिखाने के बदले छुपा कर रखो
दर्द , ग़ुस्सा , प्यार , रिश्ता और जज्बात !-
हमारे दुःखों का मुख्य कारण ,
हमारा दूसरो के प्रति लगाव और हद से ज़्यादा भरोसा हैं !-
सबका अपना अपना सफ़र हैं
मुझे भी बहुत दूर किसी के साथ चलने के बाद पता चला ,
मोहब्बत है ये कहने में और मोहब्बत होने में बहुत फ़र्क़ हैं !-
कभी कभी ये सोचकर विस्मय होता है कि सुख के लम्हे तक पहुंचते पहुंचते हम उन सब लोगों से जुदा हो जाते हैं जिनके साथ हमने दु:ख झेलकर सुख का स्वप्न देखा था..!!
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लूटेंगे लोग तुझको बड़े इत्मीनान से ,
तेरे लहज़े से शराफ़त झलकती है।-
तो बहुत से लोग कहते है कि तुम
दुबारा मोहब्बत क्यों नहीं कर लेते ...तो मैं उनसे कहूंगा
...कि जो हालत थी मेरी पहले वो हालत अब नहीं करनी
बहुत टुटा है दिल मेरा , मरम्मत अब नहीं करनी
अरे एक बेवफा लड़की ने किया बदनाम हैं मुझको
अरे जाओ हसिनाओं मोहब्बत अब नहीं करनी
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