तुम हो तो सबकुछ है
तुम नही तो कुछ नही।
ये बातें फ़िल्मी लगता था ,
अब लगता है सबकुछ सही।
मेरे शहर में कुछ नही रहा
अब मेरे जैसा,
सबकुछ तो है , बस एक तुम नही हो।-
:-CA_Writer
कुछ सोचूं या लिखूं ?
तुम्हे देखूं या पढ़ूँ ?
छुपाऊँ या बता दूं तुम्हे ?
क्या तुझे भी है इश्क़ वैसे
जैसे मुझे है तुझसे ।
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हमारा और शिव जी का भी गहरा सम्बन्ध है,
क्योंकि
हमे वो पसंद है और
उसे शिव जी।-
कहीं न कहीं तेरा एहसास तो है,
हम से दूर होके भी यूँ दिल के पास है
दिल मे तेरी चाहत बसी है इस तरह
जिसमे तेरा जिक्र है, वो हर लम्हा खास है।
क्यों भुला दिया यूंही बेवजह,
जिससे तुम बेवजह ही प्यार करती थी।
दोस्तों से कहना ना ना , प्यार नही है उनसे
लेकिन सबसे छुप छुप के इजहार करती थी ।
हमारी छोटी सी उदासी पर रो देना तेरा,
और हमारी मुस्कुराहत में साथ साथ मुस्कुना,
कहती थी ना हमें, सारी खुशियां देगी लेकिन
आसान लगा शायद तुम्हे मेरे आंखों को रुला जाना ।
शायद तुम जी भी लोगे मेरे बिना,
मुझे एक बुरे ख्याब की तरह भूलाके
लेकिन इस मासूम दिल का एक सवाल है
क्या सच मे मुझे भुला दिया तुमने
या खुद से झूठ बोलके खुद को सजा दिया तुमने ?
आज बरसो बाद उनसे मुलाकात हुई थी,
कहने लगी हमसे - दोस्त क्यों नही बन जाते हम।
मैंने एक गहरी सांस ली ओर बोला ,
बेसक जुदा हुए थे पर भूले कब थे हम ।
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तुम हो हमसे दूर पर दिल के बहुत करीब हो,
तू ही मेरी जिंदगी तू ही मेरा नसीब हो।
ना जाना एक पल के लिए भी तुम दूर हमसे,
दुवाओं सौं सौ करके मैंने पाया हूँ तुम्हे रब से
कुछ बातें लवों तक आयी कुछ दिल में समाया है,
मैंने तुम्हे तेरे किस्मत की लकीरों से चुराया है।
पास बैठो ना तुमसे कुछ इजहार करनी है,
आज फिर से थोड़ी इश्क़ वाली बात करनी है।
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बहुत हुआ छुपन छुपाई,
देखो ना,
अब तो बारिश भी आ गयी।
दिन भी इतने सुहाने है
बस एक तुम हो जो
बेखबर बने बैठे हो ?
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सोचा चाँद से कुछ लाली चुरा के
सजा दू आपकी चेहरे का नूर।
फिर सोचा अपने इश्क़ के रंग में
रंग कर आपको भी कर दूं मशहूर
फिर सोचा क्या करूँ मैं सृंगार उनका
जिनके बातों में नादानी हो ।
होंठो पर खिले गुलाब हो और
महकता हुआ शुरूर हो ।
नजाकत जिनकी जेवर हो
औऱ सादगी जिनका गुरूर हो।
जिनसे सुबह का सवेरा हो
और रात का सुकून हो।
चलो बताते हैं चाँद को क्यूँ इतना मगरूर है
मेरी चाँद तो कोहिनूर का नूर है।-
इश्क़ का दास्तान ही कुछ ऐसा
अनकही अनदेखी कोई नूर सा ।
देखते ही लगा सपने हक़ीक़त जैसा
खुदा से मांगी दुआ की हूर सा।-
ये बारिश की सुहावना मौसम भी कितना प्यारा है
ये ठंड ठंड हवायें भी कर रही कुछ इशारा है।
भींग के बारिश में सुनो ये छम-छम की आवाज
शायद कह रही है किसी ने दिल से तुम्हे पुकारा है।
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