कहीं न कहीं तेरा एहसास तो है,
हम से दूर होके भी यूँ दिल के पास है
दिल मे तेरी चाहत बसी है इस तरह
जिसमे तेरा जिक्र है, वो हर लम्हा खास है।
क्यों भुला दिया यूंही बेवजह,
जिससे तुम बेवजह ही प्यार करती थी।
दोस्तों से कहना ना ना , प्यार नही है उनसे
लेकिन सबसे छुप छुप के इजहार करती थी ।
हमारी छोटी सी उदासी पर रो देना तेरा,
और हमारी मुस्कुराहत में साथ साथ मुस्कुना,
कहती थी ना हमें, सारी खुशियां देगी लेकिन
आसान लगा शायद तुम्हे मेरे आंखों को रुला जाना ।
शायद तुम जी भी लोगे मेरे बिना,
मुझे एक बुरे ख्याब की तरह भूलाके
लेकिन इस मासूम दिल का एक सवाल है
क्या सच मे मुझे भुला दिया तुमने
या खुद से झूठ बोलके खुद को सजा दिया तुमने ?
आज बरसो बाद उनसे मुलाकात हुई थी,
कहने लगी हमसे - दोस्त क्यों नही बन जाते हम।
मैंने एक गहरी सांस ली ओर बोला ,
बेसक जुदा हुए थे पर भूले कब थे हम ।
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