चल आज एक ऐसी नज़्म कहूं जो "लफ्ज़" लिखू वो हो जाए।
बस "अश्क़" लिखू और एक "आंसू" तेरे गोरे गाल को धो जाए
मैं "आ" लिखू तू "आ" जाये, मैं "बैठ" लिखूं तू "आ बैठे" ।।
मेरे काँधे पर सिर रख्खे तू , तो मैं "नींद" कहूँ तू "सो" जाएं।।
मैं कागज पर "होंठ" लिखूं तेरे "होठों" पर मुस्कान आए मैं कागज पर "दिल" लिखूं तू "दिल थामें", मैं "गुम" लिखूं दिल "खो" जाए
तेरे "हाथ" बनाऊं पेंसिल से और हाथ पे तेरे हाथ रखु कुछ "उल्टा - सीधा" में सोचु कुछ "सीधा-उल्टा" हो जाए।।
मैं "आह" लिखू तू "हाय" करे,
मैं "बेचैन" लिखू, "बे चैन" हो तू,
फिर मैं "बेचैन" का "बे" काटू, तुझे "चैन" ज़रा सा हो जाये।
अभी "N" लिखू तू सोचे मुझे,
फिर "E" लिखू तुझे कुछ कुछ हो,
फिर "H" लिखू तेरी नींद उडे,
फिर "A" लिखू तू दिल थामे,
जब "L" लिखू तू खो जाए।
फिर मैं "इश्क़" लिखू , तुझे हो जाये।
चल आज एक ऐसी नज़्म कहूँ, जो "लफ्ज़" लिखू वो हो जाये।- Mr. Busy
24 SEP 2019 AT 22:17