Nehal Jain   (नेहल जैन 'नज्म')
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➡️ Published writer
➡️Nazmo se baate, tanhai me mulakate
➡️Welcome for collab✍️
Joined 4 June 2018


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13 APR 2022 AT 3:35

मुझे थोड़ा भी वो शख्स नही चाहिये...
जो थोड़ा-सा भी किसी और का हो।।

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2 APR 2022 AT 18:18

एक बार फिर लिखने को मजबूर किया है...
गमों की चादर ने सबसे दूर किया है...
हर सितम को हमने लिखा इस तरह...
ना चाहते हुए, लफ्जो ने मशहूर किया है।।

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11 OCT 2021 AT 7:20

संमदर है तो उफान भी होगा...
इसां हू मुझमें तुफान भी होगा...

क्या हुआ जो आज असफल हूं...
कल मुझ पर सबको गुमान भी होगा...

उन अधूरे ख्वाबों का सफर ही तो छूटा है...
एक नये मोड़ से ,फिर उनका अंजाम भी होगा...

कोशिशों के दौर मे हर कोई मेहमान ही होता है'नेहा'...
होगें गर काबिल तो बिन मांगा सम्मान भी होगा..

मेरे सपनो पर भरम रखने वालो...
मुझे यकीं है मेरा खुदा इक दिन महरबान भी होगा।।

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4 OCT 2021 AT 3:02

यही है हम बस इसी जमाने में...
ना जाने क्यूं ढूढते हो तुम मयखाने में...
शमा तो बुझी है, रात भी ढल जाएगी...
आएगे मुसलसल ख्वाबों के अफसाने में..

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3 OCT 2021 AT 5:52

ना कर अहसान अपना इश्क लुटा कर...
इसे बेकार ही जाना है
वो भला पाक-ए-इश्क को क्या समझे...
जिसका रकीब की बांहो मे ठिकाना है।।

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3 OCT 2021 AT 5:35

हम फिर लिखने की शुरुआत कर रहे है...
तेरे दिए हर गम को आबाद कर रहे है...
क्या हुआ भला जो महोब्बत मुक्कमल ना हुई...
हम रफता-रफता खुद को बरबाद कर रहे है।।

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1 OCT 2021 AT 5:23

तेरे गमों की परछाई से, हर रात लिपट कर सोती हूं...
तुझे भुलने की कोशिश में, हर रात सिमटकर सोती हूं
गफलत मे कभी याद ना आ जाए कही तु मुझे,
बस इसी जद्दोजहद में, हर बार करवट बदलकर सोती हूं।।

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30 SEP 2021 AT 5:12

एक बार फिर लिखने की शुरुआत हुई है...
शायद कोई ह़ीर आज फिर बरबाद हुई है।।

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6 MAY 2021 AT 18:39

त्याग- तपस्या की मूरत वो,
संयम सदा ही सिखाया है...
हाथ जोड़ शत् शत् करे वंदना,
अणुव्रत का पाठ पढ़ाया है...
हम कहे अहो भाग्य हमारा,
तेरापंथ मे जन्म हमने पाया है...
धन्य है गुरुवर आपको,
जीवन का अर्थ समझाया है।।

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5 MAY 2021 AT 20:50

पता है वजूद नही है उसका...
फिर भी दिल बेकरार है,
पता है प्यार नही है उससे...
फिर भी उस बिन जीना दुश्वार है,
कुछ ज्यादा अहमियत देने लगे है शायद,
अब उसे भी पता होना चाहिए,
'नज्म' औकात से बाहर है।।

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