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हर कहानी अपनी सी लगे।
पाँव में छाले है फिर भी आँखों मे
सपने रखा करता है,
वो घर से दूर होकर भी घर के लिए
ही काम किया करता है,
फिक्र हमारी रात दिन करता है
पर ये चिट्ठा कभी नही खोलता है,
हाँ वो बाप है जो कड़ी धूप में तपकर भी
हमारे सारे अरमान बुना करता है।-
उसका साथ मुझे अब मंजूर नही,
उसके इश्क़ का अब फितूर नही,
चाहत अब उसके लिए कुछ बची नही,
इस दिल के महखाने में वो अब मशहूर नही।-
वक़्त ठहर सा गया है,गम कम होता नही,
किसी से क्या शिकवा करे ,दर्द कम होता नही,
गुजरता नही एक पल भी मेरा,ये साल सा लगे है,
ज़ख़्म गहरा गहरा है क्या कहे,जख़्म कम होता नही।-
एक बार अगर पीछे पलटकर देख लेते,
बेहतर होता एक बार ठहरकर देख लेते,
मालूम होता अगर की ये वाक़िया होगा,
तो हम दोनों लहज़ा बदलकर देख लेते।-
तू क्यु उसे याद कर रोया करती है,
क्यु हर लम्हा उसे सोचा करती है,
सजा रहा है वो ख़्वाब दुसरो के संग ,
तू क्यु उसके ख्वाब देखा करती है
तू जिसे कल तक जान कहती थी,
आज किसी और कि जान उसमे बसा करती है।
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