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अक्सर मैं सोचती हूँ...
उसकी वो खिलखिलाती हँसी,
जिसमें है अब एक दर्द की दास्ताँ छुपी
अक्सर मैं सोचती हूँ...
उसकी वो चमकती हुई आँखे,
जो बोलती है अब उसकी अनकही बातें
अक्सर मैं सोचती हूँ...
उसके वो अधूरे सपने,
जिसको अब भी पूरा करते उसके हौसले
अक्सर मैं सोचती हूँ...
सुनता था जिस ख़ुशी से बातें सारी,
रहे न उसकी अब वो शक्ति अधूरी
अक्सर मैं सोचती हूँ...
धरती वाले तो बस कर सकते है दुआ
छीनने और देने वाला तो बस है ख़ुदा
अक्सर मैं सोचती हूँ...
पर क्या माँगू दुआ उसके लिए,
जो ख़ुद है एक दुआ मेरे लिए
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She(Patient)- Blank,searched,found & proudly "POSTED"
He(Doctor)- Busy,examined,warned &
diagnosed "PLAGIARISM"-
बड़ी अजीब सी है ये बात
पर सच ही तो है, "जैसे हालात वैसे जज़्बात"
असलियत तो हुई तब बेनक़ाब
जब बेक़ाबू हो गए हालात
और अल्फ़ाज़ बयां न कर पाए जज़्बात
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LYRICS:
Words weaved with emotions,
enrooted heart to heart.
Serenading, magical & committed,
yet never confessed not expressed.-