मेरी ज़िंदगी का एक खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला,
मैं हारा भी तो अपनी रानी से …-
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प्रेम में राधा, मर्यादा में सीता और तुम्हारे सम्मान में सती बनूँगी मैं,
तुम बेफिक्र रहो, इस जन्म क्या सात जन्म तेरी रहूँगी मैं…-
उसे पता है मुझे सबसे ज़्यादा क्या दर्द देता है
फिर भी उसने मुझे तोहफे में तन्हाई ही दी….-
चलो एक बार फिर से साथ जीते हे
ग़ुस्सा,अपशब्द माफ़ी सब रहने देते है
कल की बातें कल में छोड़ो
रिश्तों को प्यार से रंग लेते है|
कमी तुम में भी है, कमी हम में भी है
कुछ गलती तुम कुछ हम भी करते है
ख़ामिया छोड़ो, इल्ज़ाम छोड़ो
एक दूसरे की खूबिया गिनते है
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा
कोशिश कर के संभल लेते है
रोक लो ग़ुस्सा समझ लो हर बात
एक दूजे से हम बहुत प्यार करते है-
बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
पर कह ही नहीं पाती हूँ
बहुत से सपने संजोती हूं
पर पूरे कर ही नहीं पाती हूँ
ये भी ना समझ पाती हूँ
की ग़लत कितनी हूँ,
हलक तक आते सारे जज़्बात है
फिर क्यों लबों तक आती नहीं हर बात है
क्या तुम बिन कहे समझोगे ??
बिना कहे इस दिल को सुनोगे ??
कभी-कभी ही,अरमान कुछ जाग जाते है
पर हालतों के आगे क्यों ये मर जाते है
जानती हूँ हालात फिर बदलेंगे
हम तुम फिर सँवरेंगे
बस थोड़ा और इंतज़ार करना होगा
मन की बात का फिर इज़हार करना होगा ..-