आज किनारे पर बैठ कर मैंने उनसे किनारा कर लिया। तेरी गलती मेरी गलती अरे छोड़ो! आज हर गलती का इल्ज़ाम हमारा कर लिया, और आज़ाद परिंदे को बांध कर भी क्या फ़ायदा ? आज़ तोड़ दिया हार बंधन को हां, मैंने फिरसे खुदको आंवरा कर लिया।
वो आग नहीं बन जाएगी। जला दिया सब किस्सों को जिसने दोबारा बात नहीं जाएगी। की ढालना पड़ेगा रवि को शाम की चाहत में यूं तुम्हारे हमारे सोचने से रात नहीं बन जाएगी।
तेरा मिलना, चहरे पर हंसी का खिलना। वो घंटो बातें करना, वो वक़्त का फिर भी कम लगना। तेरा वो मनमर्जिया चलाना, हमें अचानक किसी की नज़र लग जाना और फिर अलग हो जाना जिंदगी को #शायद यही मंजूर था।
मुझे रोते हुए को हंसाया है जिसने, मेरे हर दर्द को फूक से मिटाया है जिसने, जीत में तो हर कोई हाथ थाम लेता है मेरा मुझे गिरते हुए को उठाया है जिसने, वो और कोई नहीं तुम हो मां।