बाढ अकेले कहाँ आती
साथ ले आती है
तबाही,
पानी का सैलाब,
तेज बहाव,
दलदली मिट्टी,
मलबा,
भूस्खलन,
असंख्य पत्थर,
संक्रमण,
निराशा
और
बिछोह
अपनो से,
सपनो से,
और जिन्दगी से...
©Neha Surender Kr.Adhana-
Joined yq on 29th October 2018
सालों के बाद आज फिर
मिलने वालों के
खुशी से मुस्कुराते चेहरे..
मुलाकात के बीच के जो पल है,
इनके बीत जाने का बेसब्री से इन्तजार करते,
मुस्कुराते चेहरों की चमक
काश कोई उन तक पहुंचाएं
जो इन पलों में शामिल ना हो पाएं...
©Neha Surender Kr.Adhana-
Respected Madam,
I want to express my heartfelt gratitude for your guidance and support throughout my research journey. This achievement would not have been possible without your expertise and encouragement. Your influence has shaped my research and inspired me to grow as a better person.
Thank you once again Ma'am for everything.
Sincerely,
Neha-
Respected Madam,
Prof. Archna Singh
I want to express my heartfelt gratitude for your guidance and support throughout my research journey. This achievement would not have been possible without your expertise and encouragement. Your influence has shaped my research and inspired me to grow as a better person.
Thank you once again Ma'am for everything.
Sincerely,
©Neha Surender Kr.Adhana
-
#PuVi
वो सरल,
सरस और
मासूमियत से भरी ,
उसे हमसफर भी
कुछ अपना सा मिला
यूँ तो कुछ कमी नहीं थी
उसकी जिंदगी में...
फिर भी दुआएं है
इन दोनों को हर जन्म
साथ एक दूजे का मिले..
©Neha Surender Kr.Adhana
-
#वो
अनगिनत बातें ,
और ढेरों शरारतें।
धमा-चौकड़ी,
हँसना -हँसाना,
खिल-खिलाकर
मुस्कुराना।
बच्चों में बच्चों सी ,
बडों में बडों सी।
हमारे बचपन
की यादगार साथी।
हमारी बातों में
और यादों में
हमेशा साथ रहेंगी...🪔🪔🙏🏻🙏🏻
©Neha Surender Kr.Adhana
-
#खेल
#हार-जीत
कहीं जीत की खुशी थी
कहीं हार का गम।
कुछ चेहरे मुस्कुराएं ,
कुछ आँखें हुई नम।
कहीं नए दोस्त बने,
कहीं पुराने भी छूट गए।
कुछ ने की जश्न की तैयारी,
कुछ की योजना रह गई अधूरी।
किसी ने गले में पहने जीत के हार,
किसी को मिली सौगात में हार ही हार।
कुछ ने सपने नए बुनें,
कुछ के पुराने भी टूट गए ।
कोई जश्न के सैलाब में था,
कोई अकेले ही उदास था।
शायद इसी का नाम
खेल था,
जिसके अंत से
हर कोई अनजान था।
©Neha Surender Kr. Adhana
-
वो खुश है ,
क्योंकि खुशी की बात है..
उसके हाथों में एक
नन्हीं सी जान है,
आंखो में चमक
और होठों पर
मुस्कान है,
हर लफ्ज़ में
दुआओं की सौगात है।
देने वाले की वो
मन से शुक्र गुजार है ..
वो खुश है ,
क्योंकि खुशी की बात है..
आंगन में किलकारियां
गूंजने को तैयार है,
आंखो में सजें
सपनें हजार है,
वो भी ममत्व से सजी ,
माँ बनने को तैयार है..
वो खुश है,
क्योंकि खुशी की बात है..
©Neha Surender Kr.Adhana
— % &-
#बाबुल
बाबुल तेरा आंगन
आज हुआ है सूना।
ना नीम रहा,
ना बाबा।
देहरी पर तेरी पसरा
आज कैसा सन्नाटा?
बाबुल तेरे आंगन की शोभा
आज हुई क्यों फीकी
तेरी देहरी पर आकर,
हर शख्स क्यों लौटा खाली??
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
©Neha Surender Kr. Adhana
-
काम बचा है थोड़ा सा,
पर हसरतें बढती जा रही है।
जिन्दगी ना जाने ,
किन चक्करों में फंसती जा रही हैं।
आंखें बोझिल हुई,
फिर भी खवाब बुनती जा रही है।
जितना सुलझाया ,
जिन्दगी उतना ही उलझती जा रही है ..
©Neha Surender Kr. Adhana
-