Neha Singh  
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Joined 21 September 2020


Joined 21 September 2020
10 HOURS AGO

अंतर्मन के ज़ख्म बहुत है
क्योंकि कुछ चीजें समझने में हम
असमर्थ रहते हैं जो तुम सब
वापस में बात करते हो न
उस चीज से हम वाकिफ हैं
इसलिए हम सिर्फ खामोशी से उसे
सुनते हैं हम जवाब दे भी तो कैसे
जबकि हमें उसका अनुभव ही न
हो क्योंकि बिना अनुभव के हम
कुछ कह दे तो तमाशा बन जाता है

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10 HOURS AGO

जो चीज हमें ठीक से नहीं
आती उसे करने की जिम्मेदारी
हमें ज्यादा मिलती है ताकि हम
उसमें बेहतर बन सके

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15 HOURS AGO

कि हम सारे काम एक
साथ करने की आदत डालें
हमारी रफ्तार उस मामले में
धीमी रह गई है


उस वक्त आदत नहीं थी इसलिए
हम इतनी तेजी से कुछ कर
नहीं पाते हैं

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17 HOURS AGO

हम जानते हैं कि जिसके ऊपर
जिम्मेदारी ज्यादा हो उसे गुस्सा
आता है क्योंकि वे एक नहीं कई
सारे कामों को संभाले रखते हैं
उसमें से कोई काम छूट गया तो
उन्हें अच्छा नहीं लगता है और
कायदे से सारे काम उनको
चाहिए होता है

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6 MAY AT 14:20

काम की बात इतनी है कि
अपने अहंकार को काबू में
रखना है अगर संबंध लंबा
और अच्छे से चलाना है तो
और खुद फैसला ले सके खुद को
इस तरह का बना लो ताकि दूसरे के
सलाह की हमें जरूरत न पड़े

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6 MAY AT 13:29

हम बहुत कुछ जान‌ जाएंगे
तुमने कहा कि हर बात दूसरे
को मत बताना सिर्फ मुझसे
साझा करना



हम अकेला महसूस करेंगे उसका
क्या इस वक्त सब नया है हमारे लिए
इसलिए खुद को सही महसूस नहीं
कर सके थे वरना हम भी जानते हैं
यही अपने है उनके साथ रहना है

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6 MAY AT 13:23

वक्त वक्त की बात है अपने आप
सब आ जाएगा तुमने कहा कि
उनके साथ ज्यादा बैठकर बातें मत
करना वरना वे मीठा बनकर हमसे
वह बात निकलवा लेते हैं जो
हमें नहीं बताना चाहिए उससे
चारों ओर बातों को फैला देते हैं

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6 MAY AT 11:33

तुम ही तो परछाई हो हमारे
इसलिए तो हमारी कमजोरी तुम हो
दूसरे के बहस और क्रोध से इतना
फर्क नहीं पड़ता जितना कि तुम्हारे
द्वारा किए गए क्रोध से पड़ता है
मगर हम क्या करें कुछ न कुछ चीजें
ठीक से नहीं हो पाती है हमसे इसलिए
तुमको बुरा लगने लगता है लेकिन तुम
फ़िक्र मत करो इस कमजोरी को
अपनी ताकत बनाकर खुद को योग्य
बना देंगे

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6 MAY AT 11:29

हमें इतना कुछ सुधारना पड़ेगा
हमें यह अंदाजा नहीं था कि
इतनी बातों का उन्हें और सबको इतना
बुरा लग जाएगा और गुस्से को
झेलने की नौबत आने लग जाएगी
नए वातावरण में भय के कारण ही
हमसे यह सब हो रहा है जो हम
करना नहीं चाहते इस चीज को हम
कैसे समझाएं सवेरे सवेरे गुस्से से हमारा
चेहरा लटक जाएगा इसकी हमने उम्मीद
नहीं की थी हमने खुद को मजबूत बना
लिया है लेकिन यही मजबूती यहां आकर
कमजोरी बन गई जब तक हम अच्छे से
यहां ढल नहीं जाएंगे तब तक कुछ न
कुछ हमसे होता रहेगा

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5 MAY AT 18:17

हम हर वक्त तुमसे चिढ़ जाते हैं
इस ग़लती को हम भी स्वीकार करते हैं
पर क्या करें इतना तनाव है कि
यह स्थिति हमसे यह सब करवा
रही है जो हम करना नहीं चाहते

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