अगर तुम समझो ना मेरी खामोशी
तो फिर तुमसे मलाल कैसा,
अगर लफ्जों में बयां हो जाए इजहार इश्क का,
तो फिर वो प्यार कैसा...!!-
चाहत वो आग है जो दिल को जलाती है, और वो ही है जो ज़िंदगी को रंग देती है
चाहत में खोकर दुनिया भूल जाते हैं, और एक नई दुनिया में जी लेते हैं
चाहत का सागर गहरा होता है, और उसमें डूबकर हम खुद को ही भूल जाते हैं
चाहत एक ऐसा एहसास है जो हर दिल में बसता है, और उसे जीने की चाहत हमेशा रहती है
चाहत में ही तो ज़िंदगी की असली मिठास है
और वो ही है जो हमें जीने की प्रेरणा देती है...-
दिल न जाने कहां गया खबर नहीं अबतक
एक शख्स को देखा तो हालत बुरी हुई...-
तुम देखो ना हमे जी भरकर,
आज
तुम्हारी नजरों से संवरने को जी चाहता है...-
इतनी बेचैनी किसी की खातिर
पहली दफा देखा है तुझमें
क्या इश्क अभी नया नया है
ज़ख्म पुराने तो नहीं-
उसके जाने से सब कुछ सुना लगता है
क्या वो मेरे शहर में एक ही शख्स था
जब रुबरु खुद को आईने में देखती हू
वो वफ़ा में हुबहू मेरा ही अक्स था-
कही तो कोई होगा करीब तेरे
यू दिल को तसल्ली दिया करते है
हर बार धोखे वफ़ा में तुमसे है खाया
क्या करे इश्क कमबख्त आपसे ही करते है...-