Neha M. Sharma©️   (©️नेहा M.'निर्झरा')
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Joined 27 July 2019


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Joined 27 July 2019

याद रह जाती हैं कुछ मुलाकातें
किस्मत बदल देती हैं कुछ मुलाकातें
कठपुतली भर है इंसान हालातों के आगे
हक़ीकत यह साबित कर देतीं कुछ मुलाकातें

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10 HOURS AGO

बहुत कुछ है भुलाने को पास मेरे
याद रखने को कुछ नहीं जाने क्यूं
मैं नापती रही दूरी उसके दिल तक की
पर दूरी मीलों में बदलती रही जाने क्यूं

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22 APR AT 16:12

कौन हो क्यूं हो क्या हो तुम
किसलिए इस धरा पर हो तुम
पहचानो अपने वजूद को सही से
अपने होने का एहसास करो तुम
आते हैं चले जाते हैं लोग इस जहां से
अस्तित्व को अपने अमर कर दो तुम
याद रखे दुनिया सम्मान के साथ, सुनो
ऐसा अपने व्यक्तित्व को निर्मित कर दो तुम
याद रखना एक बात हमेशा गहराई से
आदर दोगे ख़ुद को तभी पाओगे दूसरों से तुम

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20 APR AT 16:13

सोचती हूँ अक्सर
मेरी सोच में इतना विस्तार क्यूँ है
झटक क्यूँ नहीं देती उन विचारों को
जिन पर मेरा इख़्तियार नहीं है
पर हो जाती हूँ बेबस अक्सर
इस बेबसी को मुझसे इतना लगाव क्यूँ है

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20 APR AT 15:52

ख़याल उसका हर ख़याल में रहता है
जितना भूलना चाहूँ उतना दिमाग में रहता है
अजीब है प्यार में पड़ जाना किसी के
दिल हमारा धड़कता किसी और के लिए रहता है

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20 APR AT 15:45

सच को सच
झूठ को झूठ कहती हूँ
यही बुराई है मुझमें
दिल में जो वही जुबान पर रखती हूँ

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18 APR AT 23:13

धुंधली यादों का उठाए बोझ
क्षितिज की ओर बढ़े जा रही हूँ
मैं वो हूँ जो अतीत में थी
या वो हूँ जो वर्तमान में हूँ
इसी द्वंद्व में भविष्य को
निहारे जा रही हूँ

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17 APR AT 17:08

हो जाता है प्रेम
वश किसी का ख़ुद पर चलता नहीं
पर बना रहे प्रेम का सुंदर एहसास
प्रयत्न स्वयं करना होता है
विश्वास सम्मान समर्पण के संग
रिश्ते को लेकर चलना होता है
हो अगर मतभेद कभी तो
धैर्य रख एक- दूसरे को
सहजता से समझना होता है
प्रेम के अंकुरित बीज को
देखभाल स्नेह दुलार की
हवा खाद पानी से सींचना होता है
तभी बन पाता प्रेम रूपी विशाल वृक्ष
निःस्वार्थ भाव के फूल पत्तों से जो
हृदय आंगन में सदैव लहराता है

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17 APR AT 8:20

आशा रूपी चिड़िया
हृदय पिंजरे में
फड़फड़ाती रहती है
छूने को सपनों का आकाश
उड़ जाने को आतुर रहती है
सराहना का दाना पानी
उसका साहस बढ़ाता है
पर समाज रूपी बाज भी
भयभीत उसे करता रहता है
पर जानती है वो..
पंख मिले तो उड़ना होगा ही
टूटेगी बंधन की जाली और
स्वाभिमान की वायु
उसकी सांसों को गतिमान करेगी ही
विस्तृत आकाश में उसका भी
अपना एक आकाश होगा ही...!

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15 APR AT 21:35

इख़्तियार दिल पर दिमाग का कहाँ रहता है
जब हो जाए इश्क़ तो जमाना दुश्मन लगता है
हर लम्हा किसी के ख़वाब देखते ही बीतता
उस एक इंसान में ही खुदा दिखने लगता है

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