"ख्वाब में तुम"
रंगू मैं तुझको हवा बनके
साँसों में जाऊँ फ़िजा बनके
हम तेरे ख्वाबों में ख़्वाब बन जाएँ...
और तेरे हर सांस की सुकून...
होगी कभी चाहतों का सवेरा...
धरा और वर्षा की मिलन - सा ...
मैं कर दूँ खुद को तुझमें गुम...
और फिर मिल जाए खुद से...
हो रही धीरे धीरे रातें बर्फीली...
हमें करीब लाने को...
पर तुम अब भी हो खड़े कहीं...
तन्हाई के ख्वाबों में खुद को सौंपे....
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