थोड़ी उलझन में हूँ...
कुछ सवाल है, पर उनके जवाब नहीं।
कुछ कहानियां है... बस अधूरी सी,
कुछ किस्से है... पर कोई सुनने वाला नहीं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
सब है यहां लोग, रिश्ते, चेहरे...
पर मैं ही नहीं हूँ।
भीड़ में हूँ... फिर भी तन्हा हूँ।
आखिर क्यूँ हूँ मैं?
कोई क्यों पहचानेगा मुझे?
जब मैं खुद से ही अंजान हूं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
थोड़ा सा शोर भी हूँ बाहर,
पर थोड़ी खामोशी भी है अन्दर।
कैसी थी मैं... और आज क्या बन गई हूँ।
मैं खुद नहीं जानती ,
कि मैं क्या कर रही हूं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
Neha kariyaal..
- Neha kariyaal
5 HOURS AGO