थोड़ी उलझन में हूँ...
कुछ सवाल है, पर उनके जवाब नहीं।
कुछ कहानियां है... बस अधूरी सी,
कुछ किस्से है... पर कोई सुनने वाला नहीं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
सब है यहां लोग, रिश्ते, चेहरे...
पर मैं ही नहीं हूँ।
भीड़ में हूँ... फिर भी तन्हा हूँ।
आखिर क्यूँ हूँ मैं?
कोई क्यों पहचानेगा मुझे?
जब मैं खुद से ही अंजान हूं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
थोड़ा सा शोर भी हूँ बाहर,
पर थोड़ी खामोशी भी है अन्दर।
कैसी थी मैं... और आज क्या बन गई हूँ।
मैं खुद नहीं जानती ,
कि मैं क्या कर रही हूं।
बस थोड़ी उलझन में हूँ...
Neha kariyaal..
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मैं कौन हूँ?
— एक चुलबुली की पहली चुप्पी
मैं कोई बड़ी लेखिका नहीं हूँ,
न ही कोई विचारों की ज्ञानी।
मैं बस एक लड़की हूँ — साधारण सी,
जो कभी मुस्कराकर सब कुछ छुपा लेती है,
और कभी एक सवाल में पूरी दुनिया उधेड़ देती है।
लोग मुझसे पूछते हैं —
"तुम इतनी सोचती क्यों हो?"
मैं मुस्करा देती हूँ।
क्योंकि अगर मैं ना सोचूँ,
तो शायद मैं वो रह जाऊँ जो दुनिया मुझे बनाना चाहती है —
ना कि जो मैं खुद हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं वो लड़की हूँ —
जिसे किताबों से ज़्यादा
खामोशियों के पन्ने पढ़ने आते हैं।
मैं तर्क करती हूँ,
पर गहराई में कहीं भावनाएँ भी जिंदा रखती हूँ।
मैं भरोसा करती हूँ,
पर बार-बार टूटी हूँ —
फिर भी खुद को दोबारा जोड़ा है,
हर बार थोड़ी और सच्ची बनकर।
मेरी सोच..
मैं सिर्फ़ अपने सच के सामने झुकती हूँ।
मुझे प्रेम की परिभाषाएँ नहीं आतीं,
मगर दर्द के रंग पहचानती हूँ।
मैं कभी एक कहानी बन जाती हूँ,
तो कभी किसी कविता की अधूरी पंक्ति।
तो मैं कौन हूँ?
> मैं वो हूँ,
जो किसी किताब में नहीं मिलती।
मैं वो हूँ,
जो हर लड़की के अंदर कहीं चुपचाप सांस लेती है -
पर अक्सर खुद को ही समझ नहीं पाती।
मैं “एक चुलबुली” हूँ…
जो सवालों से डरती नहीं —
बल्कि उन्हें जीती है। 🌸
Neha kariyaal..✍️
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