Neha Jha   (Ehsaas neh ke)
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Joined 29 November 2017


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Joined 29 November 2017
6 SEP 2021 AT 12:21

और फिर एक वक्त के बाद हम शहर हो जाते हैं ,,
जिसकी सड़कों पर भागता है मन ,,,,
बेसाख्ता ,, बेहिसाब,,बेसबब,,और बेबस,,,
कभी भूल जाने के लिए,,
कभी भूला दिए जाने के लिए,,
कभी वक्त ,, कभी बेवक्त ,,,
बनकर वो धनक जिसने खो दिए अपने सारे रंग ,,
और फिर उन्हीं रंगों को वापस पाने की होड़ होती है ये दौड़ ,,,
रंगों के पीछे दौड़ने वाला हर शख्स अधूरा है,,,
क्योंकि धनक के खिलने के लिए चाहिए,,
पहाड़ ,,,,,पानी
और थोड़े से आवारा बादल ,,,!!
इन चाहनाओं के बिल्डिंगों के मरूस्थल
में धनक का खिलना ,,,,,
Is next to impossible 😇

पूरा होना है तो अपना धनक ढूँढिए,,
चाहनाओं के मरूस्थल से निकलकर,,,!!

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25 MAR 2021 AT 10:15

अगर पुरूष चाहते हैं स्त्रियाँ
उनके प्रति अपनी
सोच बदलें
पहले पुरूष खुद को
उस लायक बनाए,,!!

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12 NOV 2019 AT 11:31

वो कृष्ण है उसे सबका होना है,,,
मैं राधा हूँ मुझे बस उसकी रहना है,,!!

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22 NOV 2021 AT 19:55

कुछ लोग अच्छे होते हैं,,,!
कुछ लोग अच्छे होने के वहम में होते हैं,,!!

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9 NOV 2021 AT 19:50

जरूरतें सब जानते हुए बेवकूफ बनने पर मजबूर कर देती हैं,,!!

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17 OCT 2021 AT 18:36

लुटाना प्रेम था सबको
मगर अंधाधुंध लुट रहा है
नकारात्मकता
अंधविश्वास
और
धोखा ,!!
हर जगह,
हर पल ,
हर सू

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17 OCT 2021 AT 18:30

जब भी लिखती हूँ
कुछ अनछूई आवाज लिखती हूँ,,,
बहुत लिखा बारिश का शोर सबने
मैं पतझड़ का धीमा साज़ लिखती हूँ,,
हर राह पर लिखा गया
सुबह के सूरज के रंग को,,
मैं काफिरों ने जो गुजारी स्याह
सर्द रात लिखती हूँ,,
इतनी जोर से गूँजा ज़हन में
सहरे की खामोशियों का मेला,,
अजी अब कहाँ कभी मैं वादियों
का राग लिखती हूँ,,
वक्त के साथ उड़ा देती हूँ
सारे हर्फों के रेले,,
कि दिल के सब राज़
डायरी में भी नहीं सम्हाल रखती हूँ,,!!

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7 OCT 2021 AT 16:09

हाँ लोग बुरे भी होते हैं ,,
मगर तुम तो घटिया निकले,,!!

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2 OCT 2021 AT 15:20

खामोश हो जाता है
जिसे इश्क छू जाए,,,
खुदा कैसा है,,
महसूस होने पर फिर
कौन बता पाया है,,!!

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2 OCT 2021 AT 15:14

जिसे देखिए इश्क पर ज्ञान बाँट रहा है,,
चंद पन्ने लिखने से इश्क महसूस नहीं होता,,!!

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