Neha Jha   ('नेहा झा मणि')
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Joined 11 August 2019


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1 NOV 2023 AT 19:00

कहीं दूर चलो ना
यहाँ शोर बहुत है
इश्क़ के दुश्मन
हर ओर बहुत है

जब रात होगी निढ़ाल
चाँद उफ़क़ पर
कर रहा होगा
विश्राम

तुम दीये की
जर्द रौशनी में आना
इज़हार-ए-अल्फाज़ लेकर

मैं अपने सर्द
एहसासों को
सेकूँगा
तुम्हारी सुलगती
धड़कनों पर
हाथ रखकर।

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10 OCT 2023 AT 23:01

अहाँक सुख आ
हमर सुखक आशय
बाँटल छल
मुदा
नोरक सुआद
एक्कहि होयब
रहरहाँ करैत रहल
हमरा
चकविदोर।

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7 OCT 2023 AT 22:57

कुछ स्मृतियों का
स्मृति में रहना ही
ठीक है
क्यूँकि ना तो वो
यथार्थ हो सकती
और वर्तमान को भी
अपने वश में करने में
अक्सर सफल हो जाती
और हम अपने यथार्थ
सुख से वंचित रह जाते
बेहतर है स्मरण रखें
कवि की पाँति,
"जो बीत गई सो बात गई"।

नेहा झा मणि



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26 SEP 2023 AT 10:36

मिलावट के
इस दौर में
विशुद्ध प्राकृतिक
और कुछ भी नहीं
तुम्हारे
प्रेम के अतिरिक्त।

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14 SEP 2023 AT 12:51

प्रेम का प्रतीक है
गुलाब
प्रेम के ब्रह्म रूप हैं
कृष्ण
तभी प्रेमिकाएं
प्रेम में या तो
गुलाब हो जाती हैं
या कृष्ण।

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29 AUG 2023 AT 8:00

एक बात कहना चाहूँ,
नदी सी बहना चाहूँ।
भीड़ है मेरे भीतर पर,
संग तेरे ही रहना चाहूँ।

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3 AUG 2023 AT 18:39

लोक अनेरो ठिठियेतै ,एहि सँ बेसी की करतै।
मीते हीत मिलि कनेतै, एहि सँ बेसी की करतै।
किओ चालनि त' किओ सूप छै अपने जहन,
हरसठ्ठे हमरे गरियेतै ,एहि सँ बेसी की करतै।

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28 JUL 2023 AT 12:58

मेरे पास कोई और
विकल्प ना था
जीवन और मुक्ति में
मैंनें मुक्ति को चुना

प्रेम का ना चयन
ना करना ही तो
मुक्ति था
प्रेम से
आत्मिक सुख से
और जीवन से ।

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25 JUL 2023 AT 19:57

सुना है तुम्हारे शहर में
आजकल
हर रोज बारिश हो रही है
हो सके तो भेज दो ना
एक दो अछार
इधर भी
बहुत मैले हो गए हैं
मन यहाँ अपनों के
शायद धूल जाए।

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22 JUL 2023 AT 9:02

कखनो क' 'जाएब' सेहो
अनंत सुख दैत छैक
जेना प्रेम मे कयल गेल
नितांत गहींर छल केँ
स्थाइ रूपे हृदय सँ
विस्मृत भ' जाएब।


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