Neha Jain   (नेहा जैन)
16 Followers · 8 Following

Joined 24 October 2019


Joined 24 October 2019
21 APR 2023 AT 0:39

क्यों अब मैं कुछ लिख नहीं पाता हूं,
सोचने कुछ जाऊं तो खुदमे कुछ उलझ सा जाता हूं।
सवालों का जवाब मैं ढूंढ नहीं पाता हूं,
आगे बढ़ने जाऊं तो अंधेरों में खो जाता हूं।।

क्यों अब मैं कुछ लिख नहीं पाता हूं,
लोग जो कहते है मैं समझ नहीं पाता हूं।
उम्र के हिसाब से मैं जी नही पता हूं,
दिल खोलकर मैं हस नही पता हूं।।

क्यों अब मैं कुछ लिख नहीं पाता हूं,
किनारों पर चलकर भी खुद को डूबा सा ही पाता हूं।
रास्ता होने पर भी दिशा नहीं देख पाता हूं,
सपनो को अपने मारा हुआ पाता हूं।।

क्यों अब मैं कुछ लिख नहीं पाता हूं,
बेचैनी की ये दीवार तोड़ नहीं पाता हूं।।

-


18 JAN 2023 AT 0:37

जब जब उदासी का आलम तुम्हे घेरे,
दुआ है पास में तुम्हारे हो मुस्कुराते हुए चेहरे।
जब कभी डर तुम्हे सताए,
दुआ है पास तुम्हारे कोई आकर हिम्मत दे जाए।
जब कभी तुम्हारा खुद पर विश्वास डगमगाए,
दुआ है कोई तुम्हे तुम्हारे संघर्ष की तस्वीरे दिखाए।
जब कभी तुम्हे अकेलापन सताए,
दुआ है दूर बैठे तुम्हारे चाहने वाले तुम्हारे मन को घेर जाए।
जब कभी तुम्हारा स्वास्थ्य तुम्हे अस्वस्थ नजर आए,
दुआ है मां जैसा प्यार तुम्हे फिर से चुस्त बनाए।
जब भी कभी जीवन में विपरीत परिस्थिति आए,
बस इतनी दुआ है कि आंखे मेरी तुम्हे सदा मुस्कुरता ही पाए।।

-


28 OCT 2021 AT 3:53

हर नयी जगह काफी कुछ सिखाती है,
पुराने सबक के साथ, कुछ नए रास्ते दिखाती है।
लोग जो हैं पुराने, वो अक्सर याद आते हैं,
कौन जाने कितने वक्त में, हम नए लोगो को अपना पाते है।
अर्जित करने तो ज्ञान अपार है,
मगर कैसे भूले, पल पल याद आता जो परिवार है।
पुराने पक्षी नए के साथ घोसला बनाते है,
और वक्त पूरा होते ही, उड़कर दूर चले जाते है।
बदलाव को अपनाने की, जद्दोजहद लगातार चलती रहती है,
क्या ही किया जाये, जब परिस्थिति हर पल बदलती है।
आशाओं के साथ दिलों में, दबे कुछ सुहाने से अरमान हैं,
आगे क्या होगा सोचकर, मन लगातार परेशान है।
समय तो सदैव चलायमान है,
फिर ना जाने क्यूं, पुरानी चीज़ों पर इतना अभिमान है।
जो नया है, एक दिन पुराना हो ही जाएगा,
जिंदगी की किताब का, कोई मामूली सा पन्ना बन जाएगा।।

-


2 AUG 2021 AT 1:53

घर मे आज रिश्ते की बात चली है,
मगर मेरे दिल में तो सवालो की लड़ी है,

परिवार पर विश्वास करूं या खुद के नियम बनाऊं?
दिल मे है जो बातें, वो किसको मैं बताऊँ?
डर है जो मेरे, वो किसको मैं समझाऊं?
समस्याओं की सीढ़ी से कैसे पार पाऊं?
धुल भरी आंखों को कैसे कुछ नया दिखाऊं?
इस सफर में आगे बढूं या पीछे लौट जाऊं?
किसके लिये खुश होऊं और किसके लिए अश्क छलकाउं?

पूरे जीवन की बात है,
ये सोच कर मैं सहम जाती हूं।
आज जो दिख रहा है वही सच है या नहीं,
इन्ही ख्यालो में अक्सर डूब जाती हूं।
क्या सही ये कैसे पता लगाऊं,
दिल की सुनूँ या दिमाग की सुनकर उलझती चली जाऊ।
काश मेरे सवालो का भी कोई निश्चित जवाब होता,
ताकि मेरा भविष्य भी मेरे ही हाथ में होता।।

-


22 JUL 2021 AT 1:18

कुछ ख्वाब जाने पहचाने से है,
ये बचपन के सपने भी कितने सुहाने है।

एक जमाना था जब परीक्षा के समय चिंता सताती थी,
अब तो पूरी ज़िंदगी ही परीक्षा सी नज़र आती है।
एक पेंसिल टूटती थी तो मोहल्ले के आखीर तक आवाज़ जाती थी,
अब तो हौसला भी टूटता है तो ख़ामोशी छा जाती है।
जिम्मेदारी का अहसास केवल बस्ता उठाने को समझा जाता था,
अब तो पूरे घर का बोझ उठाने बाद भी निकम्मा कहा जाता है।
मीठी रंग बिरंगी गोलियों सी सुन्दर दुनिया नज़र आती थी,
अब तो सभी में केवल स्वार्थ भाव ही पाया जाता है।

चलते चलते बड़े दूर चले आए हैं,
वो प्यार के रिश्ते काफी पीछे छोड़ आए हैं।
जब भी कभी बचपन की बातें याद आती हैं,
होठों पर मुस्कान के साथ आँखे नम हो जाती है।
यूँ तो वर्तमान समय को भी प्यार से अपनाना है,
और कुछ सालों बाद फिर वही जवानी का किस्सा सुनना है।

जीवन का हर पड़ाव कुछ ना कुछ सिखाता है,
तभी तो हर पड़ाव जी चूका व्यक्ति अनुभवी कहलाता है।

-


21 JUN 2021 AT 22:08

Whatever comes to light,
Sooner or later goes out of sight

-


9 MAY 2021 AT 1:39

एक मां वो है जिसे हम फल और फूल चढ़ाते हैं,
और एक माँ है जिससे बीमारी में भी काम कराते है।
एक माँ वो भी है जो ज्यादती सहती है,
और एक माँ अपना सबकुछ देने के बाद भी दिन रात रोती है।
कोई माँ को ज़हर पिला रहा है,
तो कोई धरती माँ में जहर मिला रहा है।
आजकल कथनों में तो सबके, माँ के लिये आदर और सम्मान है,
मगर कर्मों को देख हमारे ईश्वर भी हैरान है।
एक दिन या एक मास माँ के नाम करना कोई बड़ा काम नहीं,
पूरा जीवन देकर भी माँ बनना आसान नहीं।

-


9 MAY 2021 AT 1:17

जिंदगी की गहराई मुझे कभी समझ ही नहीं आई,
कभी बिन मांगे खुशियां पाई तो कभी चाहकर भी हाथ नही आई।
कभी अपनों की नज़रों में खुद को अजनबी पाता हूं,
ढूँढना भी चाहूँ यदि खुद को, तो खुद में ही खो जाता हूं।
कभी मंजिल नही पाता होती और कभी किनारे पर पहुँच जाता हूं,
लेकिन सुकून क्या होता है, ये समझ ही नहीं पाता हूँ।
आगे बढ़ना तो मै रोज चाहता हूं,
लेकिन रास्ता देखकर अक्सर डर भी जाता हूं।
सुबह की नई किरण, एक नई सोच लाती है,
शाम होते होते उस किरण के साथ मेरी हिम्मत भी लुप्त हो जाती है।
हर अपने नें मेरी भावनाओं को गलत ठहराया,
मेरी समस्याओं को हसी का पात्र बनाया।
अब तो मै भी खुद की सोच पर मुस्कुरा देता हूँ,
इसी बहाने अंदर से टूटने पर भी खुद को संभाल लेता हूं,
मेरे व्यक्तित्व के रंग ना जाने मैं कब समझ पाउँगा,
जीवन के गंतव्य को कैसे पाउँगा।
यही सोच मेरा आत्मविश्वास खा जाती है,
सुबह तो होती है,
पर रात्रि फिर भी साथ रह ही जाती है।।

-


1 MAY 2021 AT 23:17

हे माँ तूने कितना कुछ सिखाया,
पहले मुझे पैदा करने, फिर पालने का कष्ट उठाया,
मुझे सूखे में रखकर स्वयं को गीले में सुलाया,
अस्वस्थ होने पर भी तूने अपना प्रत्येक दायित्व सदैव निभाया,
मेरी पसंद के पकवानों को जीवन भर बनाया,
बीमार तो मैं था, मेरी चिन्ता से तूने भी अपना ताप बढ़ाया,
रूठा गर मैं तो तूने अपनी आँखों को भिगाया,
आज भी जब मैं दर्द से कराहता हूं,अपने समक्ष तुझे ही पाता हूँ,
तेरे ना होने पर जीवन की व्यर्थता समझ पाता हूँ,
बचपन से तुझे जीवन का आधार देखा है,
मेरे जीवन की हर ख़ुशी की तू ही एकमात्र रेखा है।

-


1 MAY 2021 AT 0:40

मै तो बच्चा हूं, उनके काम कहाँ आऊंगा,
देश का निर्माण भले ही कल करूँगा,
आज तो मुफ्त की रोटियां ही खाऊंगा,
मेरी मौत अगर कुपोशण होती है,
तो इसमें सरकार की गलती कहाँ प्रतीत होती है।
मेंरे जीने मरने का ठेका इन्होंने थोड़े ही लिया है,
इन्होंने तो अपनी जेबों को तृप्त करने के लिए,
देश का दमन किया है।
सवाल यदि पूछा तो देश निकाला दे देंगे,
तुम्हारे घर में तुम्हे अपराधी बना देंगे।
तुम्हे क्या लगता है,
तुम्हारे वोट तुम्हे न्याय दिलाएंगे?
उच्च पदों पर सालों से बैठाए गये,
इनके भाड़े के लोग किस दिन काम आएँगे।
गुलामी करने की एक बार फिर करलो तैयारी,
पिछली बार अंग्रेज थे,
इस बार एक सेवक ने तुम्हारी स्वतंत्रता चुरा ली।
तुम अपने विकल्पों पर विचार करो,
मैं जरा सोने जाता हूं,
मैं तो बच्चा हूं,
जागकर भी किसी के काम कहाँ आ पाता हूं।।

-


Fetching Neha Jain Quotes