Neha Gautam   (नेहा गौतम ' नेह❤')
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शब्द नहीं ,
अहसास लिखती हूँ,
ज़ुबां तक न आ सके जो,
वो अल्फाज़ लिखती हूँ।
Joined 11 April 2018


शब्द नहीं ,
अहसास लिखती हूँ,
ज़ुबां तक न आ सके जो,
वो अल्फाज़ लिखती हूँ।
Joined 11 April 2018
26 MAY 2018 AT 20:42

हाँ मैने,
एक राज़ छुपा कर रखा है।
दिल के किसी कोने में,
जज़्बात छुपा कर रखा है।
लबों तक न आये जो वो,
अहसास छुपा कर रखा है।
इज़हार-ए-मोहब्बत,
शायद तुमसे चाहती हूँ मै,
इसलिए मैने तुम्हारे लिए ,
अब तक प्यार छुपा कर रखा है।

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11 JUL 2020 AT 21:08

कुछ स्मृति होती है,
कोरे कागज पर स्याही से
लिखे गये शब्दों की भाँति,
जो कि मिटाने के प्रयत्न से
और अधिक फैल जाती है
और रंग देती है कागज को ऐसे
कि उस पर फिर से कुछ स्पष्ट
लिखना सम्भव नहीं हो पाता है||

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25 MAY 2020 AT 10:22

कसमों में विश्वास नही था मुझे,
भला कहीं ऐसा होता है क्या....
कसम तोड़ने से,कोई मरता है क्या...
सब फिजूल की बातें|
तुमसे मिलने के बाद समझ आया,
लोग सही कहते है,
कसम तोड़ने से मौत होती है|
इंसान की......
नहीं नहीं.....
भरोसे की/विश्वास की|

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24 MAY 2020 AT 7:54

बस यही सवाल खुदसे हर बार रहा,
क्यों उन पर मुझे इतना ऐतबार रहा||

वो तो रहे मेरे लिए बड़े ही अजीज सदा,
एक मै ही था जो उनके लिए बेकार रहा||

है ख्वाहिश वो मिले एक बार फिर कहीं,
अपनी ही बर्बादी का मुझे इंतिजार रहा||

देखते ही उन्हें बढ़ जाती है धड़कने मेरी,
मेरे इस दिल पर ही न मेरा इख्तियार रहा||

वो तो बेखबर ही रहे मेरे हाल-ए-दिल से,
जिनके लिए दिल हर घड़ी बेकरार रहा||

नफरत का है ये शहर मुझे मालूम न था,
दिनभर भटकता गलियो में,लिए प्यार रहा||

और शिकायत करूँ भी तो किससे करूँ,
मेरा तो कातिल ही खुद मेरा यार रहा||

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23 MAY 2020 AT 9:16

बस यही सवाल खुदसे हर बार रहा|
क्यों उन पर मुझे इतना ऐतबार रहा?

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20 MAY 2020 AT 9:49

-: तुम ये झुमके मत पहना करो|
~ लेकिन क्यों?
-: क्योंकि मुझे नहीं पसंद|
~ कुछ भी मत बोलो याद ना हो तो याद
दिला दे,ये झुमके तुमने ही दिये थे
इतने प्यार से,आखिर क्यों न पहने?
-: ठीक है तुम्हें तुम्हारे लिए छोटी बालियां
ला दूंगा वो पहनना,पर ये झुमके नहीं|
~ जब तक इन झुमको से बैर का कारण
नहीं बताओगे तब तक नहीं मानेंगे|
-: बैर,दुश्मन से बैर तो होगा ही(बुदबुदाते हुए)|
~ दुश्मन और ये झुमके?
-: दुश्मन ही तो है,जब तुम झटके से उठती,
बैठती या चलती हो,तो यह चुपके से चूम
जाते हैं तुम्हारे गालों को और चिढ़ाते हैं मुझे|

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13 MAY 2020 AT 9:52

कमाल के मासूम है दुनिया वाले,
ज़ख्म कुरेद कर पूछते हैं दुखता है क्या?

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20 APR 2020 AT 19:00

मुझे प्यार जताना नहीं आता,
पर हां,
ऑफिस जाते वक्त कर दिया करुंगी ठीक तुम्हारी टाई,
फोन पर तुम्हें डांट दिया करुंगी टिफिन भूल जाने के लिए,
ऑफिस से आते ही तुम्हारे लिए बना दिया करुंगी चाय,
और जब काम करते हुए थक जाओगे और सो जाओगे अस्त व्यस्त होकर,तो तुम्हारा सिर चुपके से उठाकर रख दिया करुंगी तुम्हारे सिर के नीचे तकिया|
सुनो..
तुम इन सबको मेरा प्यार समझ लोगे ना|

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19 APR 2020 AT 13:47

आजकल मेरे शब्द मेरी कलम से कुछ रूठे हुए हैं|
तभी तो कैद कर लिया है स्वयं को विचारों के कमरे मे|
स्वयं विचारों के कमरे से बाहर निकलना तो चाहते हैं पर डर है कहीं बाहर निकल कर अकेले ना रह जाए, कलम के बिना|
इसलिए अंदर रहना बेहतर समझा ,पर यह दूरी ना तो कलम को अच्छी लगती है और ना ही शब्दों को|
इतना गहरा रिश्ता जो है दोनों के मध्य|
आखिरकार कलम ने हीं पहल करने की सोची और खटखटाया दरवाजा विचारों का और बाहर निकाल ही लिया शब्दो को|
परन्तु यह क्या!
वह दोनों साथ तो है पर असमर्थ है पन्ने तक का सफर तय कर पाने में|

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12 JAN 2020 AT 14:25

प्रेम की अस्वीकृति /असफलता पर,
खीझ, दु:ख, क्रोध आदि भाव स्वाभाविक है,

परन्तु इस रूप में नहीं,
कि उस व्यक्ति पर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया जाये
जिससे प्रेम करने का दावा करते हैं,

यदि ऐसा है,
तो इसका मतलब
प्रेम करना तो दूर की बात है,
हमने प्रेम को जाना भी नहीं |

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