मुझको न गुमान है ,अपनी अंगड़ाइयों पे ।
जुल्फों में लिपट जाना ,न रहना परछाइयों में ।।
मुझको न गुमान है, अपनी झील सी आँखों पे ।
देखकर डूब जाना ,न रहना पलकों के दायरे में।।
मुझको न गुमान है ,अपने इन शरबती लबों पे ।
घूँट जितने जाम लेना,न जाना किसी मधुशाला में।।
मुझको न गुमान है, अपनी चाँदनी रातों पे ।
करवटों में ढूँढ लेना ,न रहना तुम तन्हाईयों में।।
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