दिखावा की शाम
हर लोग की जिस्म रंगीन, और महंगे वस्त्र गहनें से लदे थे, प्रतीत होता था मानो अमीरों की शाम हो। हर लोग अपने अपने रिश्ते की स्वस्थता की प्रतीकात्मक को एकदूजे की बाहों में समा कर दर्शा रहे थे।
तभी महज एक आवाज थी, बॉम फटने की और दृश्य एकदम बदल गए, हर हाथ छूट गए, भागने की कर्म में लोग ने वस्त्र उठाए तो पता चला हर वस्त्र उनके जिस्म की घाव का मात्र पर्दा था।
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