अमूल्य ईश्वरीय अवदान
विश्व मानव का हर एक हृदय
अमूल्य ईश्वरीय अवदान
बुद्धि-विवेक का मुखौटा ओढ़े
उन्नत पथ पर बढ़ा इंसान।
अधिकता की लोलुपता संग
आगे बढ़ाते हुए कदम
क्यों अनदेखा करता चला
गरीब हृदय को हरदम।
रोटी के लिए रोते-बिलखते
न देखा अश्रुपूर्ण आंखें
धन दौलत की आशा रख
अमीरों के बंगले झांके।
ईश्वर ने कुछ न दिया
इस सोच से पीड़ित जन
क्षुधातुर व्यक्ति को देख
पावन करो अपना मन।
-- नेहा अग्रवाल
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जीवन रूपी मरुभूमि में
कुछ भी नहीं आसान,
एक-एक बूंद के लिए तरसे
प्यासा हर इंसान।
कंटक पूर्ण राह में
बरखा की है आस,
विश्वास की डोर से बंध
चलती सबकी सांस।
जितनी भी है मुश्किल घड़ी
मेहनत एक ऐसा हथियार,
विजय का तिलक लगाए
करना है भवसागर पार।
नेहा अग्रवाल
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*कदम कदम बढ़ाए जा*
कदम कदम बढ़ाए जा
सत्यपथ को अपनाए जा,
शूल यदि छू ले पैरों को
हिम्मत से आगे बढ़ते जा।।
अमर वीरों के बलिदान की कीमत
पल-पल स्मरण करते जा,
पत्थरों से यदि टकराना पड़े तो
लहू अपना बहाते जा।।
जोश में अपने होश न खो कर
नागरिकता को अपनाए जा,
अनेक विपक्षी क्यों न सामने हो
डटकर मुकाबला करते जा।।
कदम कदम बढ़ाए जा
शत्रुओं को धूल चटाए जा,
देशप्रेम से विमुख न होकर
रख हौसला, आगे बढ़ते जा।।
कदम कदम बढ़ाए जा।।
नेहा अग्रवाल
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एक नन्ही सी कली थी वो
चंचल और मासूमियत भरी,
आंखो में आशा थी खुशियों की
सुखद जिंदगी पाने की।
जैसे-जैसे उम्र बीती
समाज की रीति को जाना,
परिवार की खुशी के खातिर
खुद को उसी अनुरूप ढाला।
अत्याचार को सहने लगी
पुरुष के अधीन रहकर,
रिश्तों के डोर से बंधकर
हुई अनेक हिंसा का शिकार।
जीवन जीने के खातिर
कोशिश नहीं अब सहने की,
जब जब अत्याचार बढ़ने लगी
तब तब उठी उसकी आवाज़।
आवाज उठाकर न्याय के लिए
बढ़ाने लगी है उसके कदम,
उड़ती पंछियों के भांति
खुलकर जीने लगी है जीवन।
नेहा अग्रवाल
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संग्राम भरी जिंदगी में
गूंज रहा है संगीत
जीवन के रण भूमि में
हार मिले या जीत
कुछ कर गुजरने की
तैयारी होनी चाहिए।
गतिशील समय का
हाथ थाम कर
मेहनत को अपना
हथियार बनाकर
मंजिल को पाने की
तैयारी होनी चाहिए।
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दीपावली
छोटी सी लौ दीपक की
मन में आशा की ज्योत जगाती,
जगमग-जगमग पूरी धरती
सुंदरता का नूर बरसाती।
दीपकों से सजी हर कतार
सुख-समृद्धि की बाहर है आई,
भाई-चारे का संदेश देकर
संसार में रौनक है छाई।
रोशनी का आगाज़ जहां है
सफलता वहीं चूमे कदम,
पटाखों की आवाज मात्र से
चौराहें पर खुशियों का मौसम।
अपने मन का अंधकार मिटाओ
दीपावली की शुभ बेला है आई,
खुशियों की इस पावन त्यौहार में
सभी को तहे दिल से बधाई।🪔🪔
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उन लोगों के पीछे मत भागो
जिन्होंने तुम्हे गिराना चाहा,
उन सब का सम्मान करो,
जिन्होंने तुम्हे प्रेरित किया।
बाहरी मनमुटाव को छोड़कर
आंतरिक शांति की तलाश करो,
जिसको जो करना है करने दो
तुम भलाई के पथ पर ही चलो।
अधिकता की कामना को भुलाकर
जो पास है उसका सही उपयोग करो,
उचित मूल्यों का चुनाव कर
कर्मपथ पर कदम बढ़ाते चलो।-
जिंदगी में चाहे कितने भी दोस्त आ जाए
किसी को पूरा अपना न बनाना,
चाहे कितनी भी अच्छी हो वो
पर दूरी थोड़ा सा बनाए रखना।
किसी पर पूरी तरह विश्वास कर
सारी मन की बातें न बताना,
चाहे कितनी भी अच्छी हो वो
पर दूरी थोड़ा सा बनाए रखना।
उसकी मदद करो जितना हो सके
अपना कर्तव्य है हमें निभाना,
चाहे कितनी भी अच्छी हो वो
पर दूरी थोड़ा सा बनाए रखना।-
आजादी का झंडा लेकर
देखो जनता झूम रही है,
खुशियों के हिंडोले में बैठे
मैत्री का गान कर रही है।
तिरंगा के तीन रंग में
पूरी धरती रंग गई है,
रंग-बिरंगी होकर यह देश
प्यार का संदेश दे रही है।
घर-घर में तिरंगा अभियान
जनता में है हलचल मचाती,
त्याग, संयम और बलिदान के
महत्व को है स्मरण करवाती।
आजादी का अमृत महोत्सव
खुशियां हर जनता में लाई,
जन-जन का त्यौहार है ये
लक्ष्य है मिटाना देश से बुराई।
कर्तव्यों से विमुख हर व्यक्ति
राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करे,
भातृत्व की भावना समेट कर
अपनी मंजिल को प्राप्त करे।
राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा करना
मानवता का धर्म यही है,
आजाद भारत में मुक्त हर व्यक्ति
आजादी का महोत्सव यही है।-
हृदय में धैर्य को अपनाकर
जिसने हमारी नादानियों को समझा,
मन में ज्ञान का दीपक जलाए
जिसने अज्ञानता को है हटाया,
लाख कोशिश कर के भी हमने
उपकार न उनका चुकाया,
मां बाप से लेकर शिक्षक तक
ईश्वर ने दिया गुरु की काया,
हमारी छोटी- छोटी गलतियों को
क्षमा कर उसने हमें समझाया,
पथ प्रदर्शक और मार्गदर्शक है वो
अपना समझकर हमें आगे बढ़ाया।।
नेहा अग्रवाल
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