काश तुझपे मेरा भी हक़ होता,
पूरा ना सही, थोड़ा ही होता..
तुम्हें देख कर मैं खिल सी जाती,
मुझे देख कर तु भी खुश होता..
राहों में तेरी, मैं पलकें बिछाती,
मेरा इंतजार तो तुझसे भी ना होता..
ख्वाबों में अपने मैं तुझे बुलाती,
मुझे याद कर के तु भी ना सोता..
ज़माने से छिपकर, सबसे नजरें चुराकर,
मैं तेरी, और तु मेरे अंधेरों उजालों मे होता..।-
DOB - 13 oct
नज़ाकत हमारी देखनी है,
तो नफ़ासत दिखाइए
भारी पड़ जाएंगे हम,
हमें ना आज़माइए-
यूं ही तन्हा बैठे थे,
उलझे थे तानो बानो में..
एक हवा का झोंका छू गया,
हम खो गए तेरे ख्यालों में..
फिर ना जाने कहाॅं कहाँ,
ये मन उड़ान भरने लगा..
कभी तेरे संग ही उड़ चला,
कभी वक़्त के पीछे चलने लगा..
बड़ा हसीन था ख्बाबों का जहाँ,
बस हम दोनो, ना कोई वहाँ..
सुकून था, करार था,
खुशियाँ थीं, और प्यार था..
बस कुछ पलों का संग तेरा,
बस वो थोड़ी सी रौशनी..
भुला गई हर रंजो गम,
मुझे मिल गई फिर जिंदगी..!-
अश्कों के टपकने पर तस्दीक़ हुई उस की
बे-शक वो नहीं उठते, आँखों से जो गिरते हैं-
कभी कभी
मुस्कुराना आसान नही होता
भुल पाना आसान नहीं होता
छिपाना आसान नहीं होता
खुद को मनाना आसान नहीं होता
बस यूंही
आंखें छलक जाती हैं
कुछ यादें सताती हैं
कुछ तस्वीरें नज़र आती हैं
बनती बात बिगड़ जाती है-
कोई खूशबू पास से गुजरी है
किसी एहसास ने मुझको छुआ है
करीब से नापा है गहराईयों को
ये ना सोचो मुझे इश्क हुआ है
देख लिए सब खेल तमाशे
मिलन जुदाई और बवाल
सच्चे झूठे कच्चे पक्के
इश्क़ का सारा माया जाल
एक कसक दिल में रह गई
कोई गलती लकीरें कर गई
मुझ सा मुझ से ना मिला
क्या किसी से करें गिला
ये दुनिया जैसे मेला है
पर हर कोई अकेला है
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तुम्हारा साथ, दिल में दबी कोई आरज़ू सा लगता है,
इस नए दौर में सौदा ए जुस्तजू सा लगता है.!
चटख़ के टूटना आदत हुई है चेहरे की
और उस पे शौक़ कि आईना रू-ब-रू सा लगता है-
फितरत नहीं मेरी, हर चेहरे पे मिट जाऊं
एक तुझे चाहते हुए ये उम्र गुज़ारी है मैने-