हाथों की लकीरें कहती है मुझसे, अभी तो तूने कुछ किया ही नहीं, अरे अभी तो तूने जिया ही नहीं, हम भी बदल जाते हैं,अगर जुनून गहरा हो.. मुड़ जाते हैं उसी दिशा में जहां सपनों का बसेरा हो!!
**गुमनाम सी कलम और सुखी सी स्याही, फड़फड़ाते कोरे कागज और नित्य उठते नये सवाल, उस कोने में इक वीरान मंज़र हो रखा है... रुक जाओ उमड़े अल्फाजों ... आजकल मैंने लिखना बंद कर रखा हैं ****
Trust is inversely proportional to fears, desires, attachments etc etc....all wordly things. Leaving all and only trusting in invisible is difficult... but it can make difficult to possible and manifest beyond imagination .
जो मार्ग दिखाए वो गुरु, जो सतमार्ग पर चलाये वो गुरु, जो मंज़िल की पहचान कराये वो गुरु, जो पार लगाये वो गुरु, जो खुद के गुरुर को मिटाये वो गुरु, जो खुद से मिलाये वो गुरु, जो जीवन को सार्थक बनाये वो गुरु, जो जीना सिखाये वो गुरु....
क्यों हो तुम उदास, क्या दबे हैं ज़ज़्बात, कैसा डर तुम्हें सता रहा? माना बस में नहीं हैं हालात! पर तुमने हारना कब सीखा हैं, समझलो ये एक रण नया हैं, चाहो तो रो लो, चाहो तो उलझ जाओ, पर कुछ खुद में दफनाना नहीं, ये समय भी निकल जायेगा, इसे तुम खुद से बांधना नहीं, हर अंधेरा टल जायेगा, उसे जाना ही हैं, क्योंकि नया सूरज आना ही हैं!! फिर चमकोगे तुम नयी रोशनी से, क्यूंकि हारना तुमने कभी सीखा ही नहीं!!