आज़ादी का अमृत उत्सव
आज़ादी के अमृत उत्सव की शुभ बेला है आई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
अब न सहेंगे और ग़ुलामी, हुए एकजुट क्रांतिकारी
अट्ठराह सौ सत्तावन में सुलगी विद्रोह की चिंगारी
बिगुल बजाया तात्या ने, रानी ने खड्ग थी लहराई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
तोड़ नमक कानून गाँधी ने, किया ख़िलाफ़त का ऐलान
फौज बना आज़ाद हिंद की,बोस ने फ़िर थमी थी कमान
चौरी-चौरा और जलियांवाला ने ज्वाला भड़काई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
काकोरी में लूट ख़ज़ाना, अंग्रेजों की नींव हिलाई
भारत छोड़ो आंदोलन की, गाँधी ने की अगुआई
हुआ अस्त सूरज गोरों का, घड़ी आज़ादी की आई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
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