पुरुष कभी जताते नहीं,
प्यार कितना करते हैं
ये कभी भी बताते नहीं,
परवाह करते हैं वो ताऊम्र बिना बताये,
फिक्र करते हैं कितनी
ये कभी जताते नहीं,
ऐसें भी पुरुष देखे हैं मैंने
जो उम्र भर खामोश रह
कर प्रेम करते हैं ,बिना उम्मीद के निरंतर,
स्पर्श की चाह के बगैर भी
निभाते हैं ताऊम्र वो
अपनी अपनों से की गई अनंत मुहब्बत,ताऊम्र
कभी पिता बन कर
कभी भाई, बेटा, मित्र बन कर
कभी हमसफर बन कर
और कई बार
एक अदृश्य प्रेमी बन कर,
निभाते ही रहते हैं
बिना रुके बिना थके,अपने सारे कर्तव्य
जीवन के इस पथ पर।
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