Neetu Agarwal  
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Joined 26 July 2017


Joined 26 July 2017
16 OCT 2024 AT 13:21


दीप जलता रहे बना ही नहीं।
'औ' अँधेरा कभी मिटा ही नहीं।।

रात बैठी है' चाँद को लेकर,
भानु दिन को मगर दिखा ही नहीं।

रौशनी से सजा दिया घर को,
दिल पे' दस्तक मगर दिया ही नहीं।

शाम आकर ठहर गई मुझमें,
दिन का' लम्हा कभी जिया ही नहीं।

बँट चुका है शहर बड़ा 'नूतन'
शख्स है साथ पर जुड़ा ही नहीं।


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27 SEP 2024 AT 14:38

भारतेन्दु की कविता की विशेषता
1) स्त्री-पुरुष की समानता के समर्थक
2)विधवा विवाह के समर्थक
3)धर्म की संकीर्णता का विरोध
4)बालविवाह और जन्मपत्री मिलान विरोध
5)अंग्रेजी भाषा के प्रति संतुलित दृष्टिकोण
6)निज भाषा का सम्मान
7)विदेश गमन का समर्थन
8)पुरस्कारों की बंदरबाँट पर व्यंग्य
9)नशा विरोध
10)स्वदेशी का समर्थन
@nutankedia

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14 SEP 2024 AT 13:51

मेरे देश की भाषा....
ऊँच नीच को नहीं मानती
इसमें कोई कैपिटल या स्माल लेटर नहीं होता
और हाँ
आधे अक्षर को सहारा देने के लिए पूरा अक्षर
हमेशा तैयार रहता है

अज्ञात

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22 AUG 2024 AT 6:00

ग़ज़ल 21/8/24

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16 AUG 2024 AT 13:14

दरिंदा कविता
(भवानीप्रसाद मिश्र)

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22 JUL 2024 AT 13:14

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8 APR 2024 AT 11:26

मैं ignou MHD assignment 23-24 अपने यूट्यूब चैनल में डाल रही हूँ। अगर आपको आवश्यकता है तो आप देख सकते हैं 🙏🙏

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11 NOV 2023 AT 17:42

दिया खुशियाँ जले सारे,
उम्मीदों का तराना हो।
हँसी की फुलझड़ी भी हो,
धन का भी खजाना हो।
यही माँगू दुआ प्रभु से,
सब जग चैन हो फैला,
कृपा माँ की सदा बरसे,
कि रौशन सब जमाना हो।

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21 OCT 2023 AT 16:16

दशहरा मना रहे हो
राम ने
रावण का
संहार किया था आज
तुमने भी
अपने भीतर
के रावण
को मारने का
संकल्प लिया क्या ?
कम से कम
उसे पोषित
नहीं करूँगा
सोचा क्या ?
कि
अपने लाभ
के लिए
रावणत्व को
महिमामंडित
नहीं करूँगा
विचारा क्या?
(पूरी कविता मेरे यूट्यूब चैनल पर)
Link is in bio

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25 FEB 2023 AT 12:43


उछलती, कूदती, फुदकती, किलकती, मचलती
निकली है तीन देवियाँ
अपनी - अपनी जिम्मेदारियों को
खूटे पर टाँगकर,
सितारों को आँखों
में सजाकर,
पैरों में बिजलियाँ पहनकर,
परेशानियों को परे धकेल कर,
मुस्कानों से सजी,
हिम्मत से पगी,
पलों की करकर चोरी,
करके थोड़ी सी हमजोरी,
लेकर हाथों में हाथ,
चल पड़ी हैं साथ,
कुछ दुख फेक दिया है
बर्फीली घाटियों में,
तो कुछ दर्दे उछाल दी है
आसमान में बरफ की तरह,
कुछ अभावों को स्वीकार कर लिया है
बस! अब होठों पर तृप्ति की मुस्कान है।
😊
©नीतू अग्रवाल

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