तुम जज्बातों के जाल में थे और मैं बातों के सवाल में एक ही अधूरी कहानी के दो पूरे क़िरदार थें हम । -
तुम जज्बातों के जाल में थे और मैं बातों के सवाल में एक ही अधूरी कहानी के दो पूरे क़िरदार थें हम ।
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शब्दों का कमाल था किसब्र बेमिसाल था मेरे सवालों का राबता, बातों से था तुम्हारी -
शब्दों का कमाल था किसब्र बेमिसाल था मेरे सवालों का राबता, बातों से था तुम्हारी
तेरे क़िस्से में, इक किरदार मेरा हो तेरे दिल का इक हिस्सा, हक़दार मेरा हो ख़ुदा बख्शे, हर नेमत से तुझे पर तेरी हर दुआ में नाम मेरा हो । -
तेरे क़िस्से में, इक किरदार मेरा हो तेरे दिल का इक हिस्सा, हक़दार मेरा हो ख़ुदा बख्शे, हर नेमत से तुझे पर तेरी हर दुआ में नाम मेरा हो ।
Why love fails??Simply because One in so dependent And the other is so independent!! -
Why love fails??Simply because One in so dependent And the other is so independent!!
तू बेहतर था उसे बेहतरीन चाहिए था तू इश्क़ थाउसे इश्क़ का जुनून चाहिए था जिसने साथ छोड़ा हो किसी का हाथ थामने की ख़ातिरमुर्शिदउसे भला कब तू चाहिए थाया तेरे साथ का सुकून चाहिए था -
तू बेहतर था उसे बेहतरीन चाहिए था तू इश्क़ थाउसे इश्क़ का जुनून चाहिए था जिसने साथ छोड़ा हो किसी का हाथ थामने की ख़ातिरमुर्शिदउसे भला कब तू चाहिए थाया तेरे साथ का सुकून चाहिए था
हर रोज़ तेरी आँखों में हमारा ख़्वाब ज़िंदा करती हूँ तेरी सासों में हमारे इश्क़ का रुआब ज़िंदा करती हूँ -
हर रोज़ तेरी आँखों में हमारा ख़्वाब ज़िंदा करती हूँ तेरी सासों में हमारे इश्क़ का रुआब ज़िंदा करती हूँ
लिखा हर हर्फ़ में तुझे,तब कहीं जाकर ये आयात बनी है ।तेरे इश्क़ के लब्जों में पीरों कर हीं तो,ये दास्ताँ ए मोहौबत बनी है । -
लिखा हर हर्फ़ में तुझे,तब कहीं जाकर ये आयात बनी है ।तेरे इश्क़ के लब्जों में पीरों कर हीं तो,ये दास्ताँ ए मोहौबत बनी है ।
आग़ोश में जो तुम हो तो सहेर की औकात क्या तुम जो कह दो जान जो फिर मौत की बिसात क्या -
आग़ोश में जो तुम हो तो सहेर की औकात क्या तुम जो कह दो जान जो फिर मौत की बिसात क्या
कई ख़्वाबकई सवाल कई मजीलें कई रिश्ते एक के जाने से बिखर जातें हैं कई क़िस्से और अधूरे रह जातें हैं ना जाने कितने हीं किरदार तो फिर ज़िंदगी के अरमानों के सामने टूट जाता क्यों नहीं मौत का गुमान कभी । -
कई ख़्वाबकई सवाल कई मजीलें कई रिश्ते एक के जाने से बिखर जातें हैं कई क़िस्से और अधूरे रह जातें हैं ना जाने कितने हीं किरदार तो फिर ज़िंदगी के अरमानों के सामने टूट जाता क्यों नहीं मौत का गुमान कभी ।
मुर्शीदइश्क़ में यूँ कर बरबाद हुए,कई ग़ालीबऔर कई मुमताज़ हुए। -
मुर्शीदइश्क़ में यूँ कर बरबाद हुए,कई ग़ालीबऔर कई मुमताज़ हुए।