Neeti Agrawal  
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दिल की सल्तनत से यारियों की यासिर हूँ,

इश्क़ नहीं हूँ जनाब , मैं प्रेम की तासीर हूँ ।
Joined 15 August 2017


दिल की सल्तनत से यारियों की यासिर हूँ,

इश्क़ नहीं हूँ जनाब , मैं प्रेम की तासीर हूँ ।
Joined 15 August 2017
22 APR 2023 AT 15:09

वक्त की अब यही हैं गुज़ारिश कि,
वक्त को वक्त से बेवक्त कर दूं ।

तुम जो गर पढ़ों हाल-ए-दिल मेरा ,
जज़्बात की क़लम में स्याही रक्त कर दूं ।

ख़्वाबों की मिनारें जो बनाई हैं ख़यालातों में ,
उन महलों मे कही, तेरे नाम एक तख़्त कर दूं ।

जो बसी है खुशबू तेरी ,मेरी सांसों की गलियों में ,
उस एहसास-ए-इत्र को मैं प्यार भरा ख़त कर दूं ।

कही भी जाओं, पर लौट आओ पनाह मे मेरी ,
उम्मीद को पंछी और निगाहों को मैं दरख़्त कर दूं ।

दिल की इस कैद में न रिहाई हैं , न जमानत ,
गर हो तेरी इजाजत तो आ तुझे ज़ब्त कर दूं ।

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21 APR 2023 AT 14:48

वजूद नहीं जिसका वह बूंद हूं मैं ,
जो मिलूं सागर मे तो खुद समंदर हो जाऊं
डर को सहला लिए बहुत झोंके हवा के बन ,
साए में अब तेरे मैं बवंडर हो जाऊं
एक धूल कण का अस्तित्व क्या,
इस मरूस्थल से बेज़ार में ,
रोशनी में तेरी अब, रेत भरा रेगिस्तान हो जाऊं,
निभाऊं किरदार ऐसी शिद्दत से ,कि नाज़ करें खुदा भी ,
जो भूलाए ना भूलें , वो गहरी दास्तान हो जाऊं
एक कतरा सा लम्हा जो ठहरता नहीं ,
पनाह में तेरी,अब पहचान जिंदगी हो जाऊं
मलाल क्यों हो इन सांसों के छूट जाने का,
मैं नाम लूं तेरा और बंदगी हो जाऊं
बनके खुशबू महका दूं यह समा को ऐसे,
जैसे इत्र को छूकर मैं हवा हो जाऊं
क्यूं ठोकरें दूं मैं पत्थर बन किसी पत्थर दिल को,
जब साथ हो तेरा , तो हृदय पर्वत दवा हो जाऊं
खुद ही में रहा मैं खुद को ही नजरअंदाज कर,
खुद से मिलकर अब खुदा हो जाऊं
खो जाऊं रोशनी में तेरी इस कदर की,
तुझको पाकर खुद ही से मै जुदा हो जाऊं ।

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21 APR 2023 AT 14:00

मौत से भी ज्यादा , भूख बड़ी है
सुबह खाओ , शाम फिर खड़ी है

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10 OCT 2021 AT 2:36

"तत्व"
(In caption)

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11 SEP 2021 AT 14:20

"क्षमा"
(In caption)

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1 JUL 2021 AT 10:07

The only thing we need to learn for life long is
"GRATITUDE"

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21 MAY 2021 AT 22:53

"कर"
"Tax"
(In caption)
इस लेख को अपना नाम इसलिए नहीं देना चाहती
क्योंकि , यह हर आम नागरिक की आवाज है ।

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3 MAY 2021 AT 15:49

"विनती"
🙏🙏🙏🙏
(In caption)

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29 APR 2021 AT 21:15

"कड़वा सच"
(In caption)

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19 JAN 2021 AT 13:51

प्रकृति ही एकमात्र परमात्मा है
और मानवता ही एकमात्र धर्म ।
(In caption)

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