कुछ भी नहीं सम्हाला जाता माना कि है मौसम ऐसा पर सब कुछ नहीं जलाया जाता क्या नव सृजन है चाहता केवल पूर्ण विध्वंस है या आने वाले कल में इतिहास का कुछ अंश है
तपना होगा नव प्रतिमानों को रचना होगा गाथाएँ थी कभी प्रेरणा इतिहास पुनः अब लिखना होगा धूमिल होती स्मृतियों को परिवर्तन ही कह पाओगे समय चक्र के परिवर्तन को बोलो कैसे सह पाओगे नये यु्द्ध है नये मार्ग है नये कृष्ण नव अर्जुन है देखो नयी महाभारत है किन्तु संघर्ष सनातन है
दिल की बात दिल में मत रखना किताबों में गुलाब मत रखना सफर में अजनबी तोड़ते है दिल अक्सर किसी गैर से वफा की आस मत रखना जिंदगी नाम है मुस्कुरा के जीने का इसमें ग़मों का हिसाब मत रखना
रफ्ता रफ्ता हमें बिछड़े खुद से जो तुमसे हुआ राब्ता तुम जरूरी हुए भार सांसें हुई तुम ही जीने का मेरे हुए हौसला तुम मिले जो तो मैं ना जरूरी रहा इश्क़ होता गया
कि कितना ढीठ हूँ मैं भी गर मैं हो गया तुम सा मोहब्बत रूठ जायेगी गए हो तुम बचा रिश्ता जो अब मेरी अमानत है इसमें खयानत का इल्जाम मुझ पर जो आया तो फिर इक बाकी है जां मेरे पास सो अबके वो भी जाएगी