अकेलापन अच्छा लगता है ...
तो फिर कोई अपना कहकर बुलाए ...
इसकी ख्वाहिश क्यों रहती है ..
नाराजगी जब खुद से हो ..
तो फिर किसी और के ...
मानने की आश क्यों रहती है ..
दर्द जब खुद से मिली हो ...
तो फिर वजह किसी और को बतानी क्यों रहती है..
साथ पूरा ज़माना रहता है ..
तो फिर दिल में कुछ कमी सी क्यों लगती है..
-
बोलती नहीं हूं मैं ज्यादा..
आंखें ही मेरी कर देती है हर एक राज बयां ..
वो तो है शुक्र
ईन आँखों को पढ़ने का हुनर नहीं किसी में..
नहीं तो हो जाता
मेरे हर राज का खुलासा पूरे ज़माने में ..
-
कहने को कहते है सारे, है हम तेरे अपने ..
पर पहचानु मैं कैसे, है सच्चा कौन अपना यहाँ ..
कोई है फोन की गैलेरी में,तो कोई सिर्फ बस कंटैक्ट लिस्ट में ..
किसी से होती बात हर रोज है, तो किसी से होती ही ना अब बात है ..
कोई है इंस्टा व्हाट्सएप के स्टोरी में शामिल ,तो कोई बस स्टोरी सीन के लिस्ट में ..
कोई स्नैपचैट के स्नैप स्ट्रीक में है, तो कोई बस स्नैप में ऐड है..
कहने को ये सारे हैं मेरे दोस्त यार ही ..
पर है कौन अपना यहां कौन पराया..
समझ ना आया ये राज हमको अब तक..
-
रिश्ता है तन्हाई से कुछ ऐसे ..
जैसे यादों का है गहराई से..
जैसे बादल का है बरसात से ..
जैसे अंधेरी रात का है चांद से ..
जैसे सन्नाटों का है अंदर के शोर से ..
जैसे दिल का है दर्द भरी सिसकियों से..
रिश्ता है हमारा अब तन्हाई से..-
क्या लिखूं मैं खुद के बारे में
थोरा अच्छा या बहुत बुरा लिखूं मैं
अधूरे किस्से या कहानी का सिर्फ एक हिस्सा लिखूं मैं
आँखों की नमी या मुस्कराहट के पीछे का दर्द लिखूं मैं
लोगों से मिले धोखे या उम्मीदों के लाशों पे चला लिखूं मैं
बाहर की खामोशी या अंदर का शोर लिखूं मैं
चलो छोरो नहीं समझेगा कोई ज़ज्बातों को
भला अब क्या लिखूं मैं ....-
उसकी याद में आंखें रो-रोकर सूज गई है ऐसे,
हो जाता है blepharitis में swelling जैसे...
-
उसे खोने से आँखों से अश्क बहें हैं ऐसे ,
होता है conjunctivitis में watering जैसे....-
एक राज की बात बताऊँ
हाल ए दिल क्या तुझे मैं आज सुनाऊँ
दिल में दबी है जो बातें
क्या अल्फाजों से उसे लिख डालूँ
भूल के पुरानी बातों को
क्या फिर से तुझे गले लगाऊँ
एक राज की बात बताऊँ
तू जो अगर हाँ कह दे
तो हाल ए दिल क्या तुझे आज मैं सुनाऊँ-