Neeru Bukhre   (Neeru Bukhre)
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Joined 24 September 2019


Joined 24 September 2019
26 DEC 2021 AT 11:49

नीयत, नज़रिया और जहांन बदल गया!
देखा जो एक नया ख़ुदा,
तो उनका ईमान बदल गया!!

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15 DEC 2021 AT 21:12

यकीं मानो...
फर्क पड़ने या ना पड़ने से भी
बहुत फर्क पड़ता है!

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10 DEC 2021 AT 18:28

इन ख़ामोशियों पर मत जाइए जनाब।
लबों पर पर तो छाई है लेकिन,
बहुत कुछ कहता है ये मन।
कोई समझे या ना समझे लेकिन
बहुत कुछ कहता है ये मन।
शौर बहुत करता है ये मन....

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8 DEC 2021 AT 23:32

जैसे मिट्टी और पानी का...
तूने ही तो वजूद दिया है मां,
मुझ बेजान मूरत को...

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5 DEC 2021 AT 23:43

.....

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4 DEC 2021 AT 23:51

....
जहां शख़्स तो हज़ारों मिलेंगे ।
लेकिन फ़िर भी सफ़र अकेले ही करना है।।

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30 NOV 2021 AT 17:15

कभी वक्त पड़े तो, वक्त को
ज़रूर आज़माना दोस्तों।
बहुत करीब से अपने और पराए का
फर्क समझा कर जाएगा।।

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21 NOV 2021 AT 20:16

कहने को तो सब अपने होतें है।
लेकिन सच में कौन अपना है,
ये तो वक्त बताता है...😊

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12 NOV 2021 AT 22:09

हम बुरे नहीं,
बहोत बुरे हैं!
यकीं नहीं तो
आज़मा के देख लो...

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11 NOV 2021 AT 21:27

उस इंसान के सामने कभी मत रोना,
जिसे आपके आंसूओं की कद्र ना हो!😊

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