Neeraj Siingh   (मन की राह@ Neeraj Siingh)
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Joined 11 April 2018


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27 MAY AT 13:22

जो ये शब्द समझ जाता है
भोलेनाथ, भोले लोगो के नाथ
वो इस कलियुग से तर जाता है
जय भोले ,जय भोले ,
जय जय भोलेनाथ

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24 MAY AT 21:41

भक्ति का रिश्ता प्रेम से ऐसा बनाइए अपने
ईश्वर के साथ कुछ पल भी आप गर ओझल हो
तो ईश्वर खुद आपको ढूंढने चले आए
प्रेम यूं कीजिए इष्ट से के
हर दिन का भक्ति प्याला भर जाए ...

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19 MAY AT 21:46

मैं लिखता जो
तुम्हारी आंखों पर
ठहर गया मेरा
सबकुछ उन निगाहों पर

क्या लिखता मै ...
जो लाया था सोचकर
वो भी भूलकर ठहर
के सब तुमसा रह गया

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19 MAY AT 13:29

सुकून की चाहत में मोहब्बत हम कर बैठे
हमें क्या पता था कि मोहब्बत ही सुकून है

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17 MAY AT 23:52

अगर हम वाकई सोचें तो हम सो रहे है
देश के सैनिकों ने अपना काम कर दिया
देश के प्रधानमंत्री ने अपना काम कर दिया
पाकिस्तान से युद्ध में हम एक कदम आगे ही
रहे पर हम आज अपने देश के लिए क्या कर रहे
सिर्फ पैसे कमाने में लगे है और उसी से कुछ टैक्स
जमा होकर सोचते है कि हमने अपना काम कर दिया
पर अब हालात वैसे नहीं है हम आम जनता वाकई सो
रहे है और सबकुछ अपनी आंखों के सामने होते देख
रहें है आज हम चारों तरफ से घिरे हुए है पाकिस्तान
बांग्लादेश चीन और समंदर, देश के अंदर भी गृह युद्ध
जैसे ही सुगबुगाहट है हिन्दू मुस्लिम पर ये धधकते
ज्वालामुखी की तरह है और हिन्दू केवल इसी देश में
बचें है और वह भी घिरे हुए और सोए हुए की जो होगा
देश को होगा हम तो अपना देखें बस लेकिन जब देश
नहीं बचेगा तो हम क्या ही करेंगे जब चारों ओर से
घिरे होंगे , क्या हम वाकई अपने देश राष्ट्र धर्म के लिए
कुछ कर रहे ? ये सवाल हम सभी से बनता है ????

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13 MAY AT 22:14

ये कमबख्त लाइक्स लाने का हुनर हमें नहीं आया
कविताओं, शायरियों की धज्जियां उड़ाने वाले को सौ सौ 👍 वाह वाहियां मिली, वाह रे वाहियात जनता

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11 MAY AT 12:37

बड़े खामोश से है ये लफ्ज़ तुम्हारे
कह दूं क्या इन्हें मै चांद सितारे..
बड़े उन्मादी स्याह से केश तुम्हारे
क्या इनमें मैं रातों को घोल दूं..

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6 MAY AT 23:59

शांति के लिए युद्ध जरूरी है
और युद्ध के लिए शांति जरूरी

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4 MAY AT 15:15

इस बूढ़े होते शरीर को चाहने
या इस जवां होती आत्मां को
चाहने,
या इस परिपक्वत होते हृदय को
या इस चंचलता लिए मन जो
विशाल समंदर सा शांत है या
इन बारीक चमड़ी पर पड़ती लकीरों
से या इस समझदार से अल्हड़
मोहब्बत कहें इसे इश्क या प्रेम
को तुम समझोगे क्या....

क्योंकि इस उम्र में कोई नहीं ठहरता
सब चका चौंध में भागते फिरते है

क्या तुम ठहरोगे और सिर्फ सुनोगे
की सुकून क्या होता है प्रेम क्यों होता है
क्यों हम तुम नहीं मिल पाए , क्यों जवाबदारियों
से नहीं सुलझ पाए, क्या तुम समझोगे...
बैठोगे मेरे पास....

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4 MAY AT 0:25

सिमट कर रह जाता है हर ख्याल तुझतक
कुछ है ही तेरा इश्क, परवरदिगार सा......

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