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आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे।
काश तू सिर्फ मेरा होता,या फिर मिला ना होता.!— % &-
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी
वो छम छम के चलना इतराना मचलना
तुझे देख कर मुस्कुराना फिसलना
तेरी वो भीगी जुल्फें सुखाना
वो जुल्फों का पानी फर्श पर झटकना
वो तेरी अदाएं कसक सी जगाएं
कैसे भुला दूं वो प्यारी सी बातें
जिनके गवाह चांद तारे वो रातें
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी
मुझे याद आए वो राजा वो रानी
ये ख्वाबों की बातें वो असलन की दुनिया
नजर में हो पर ना नजर आए तुम
भूले नहीं है तुम्हारी कसम
जी रहे मुस्कुराके ओ मेरे सनम
संगदिल तुम ही थे तुम ही रहोगे
रिश्तो के धागों को कैसे जिओगे
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खुशबू जैसे लोग मिले अफसानों में ...!
एक पुराना खत खोला अनजाने में ...!!-
तुम्हारी आंखे है या झील में खिलता सा कमल ।
मैंने भी दिल से कहा ए मेरे दिल तू संभल ।।
अजीब रात है और चांद सितारों की गजल ।
तू सामने है मेरे करूं मैं कैसे पहल ।।
सीप में मोती ज्यू रहा हो टहल ।
ना मेरे मन तू मिलने को इतना मचल ।।
हसीन वादियां भी देख के करती है नमन ।
तुझी से मन तुझी से तन ये झूमता है चमन ।।
दुल्हन सजी है निखरा उसका यौवन ।
लगे वो चांद जो खुले उसके है नयन ।।
ना मेरे यार बेखुदी में तू इतना बहल ।
कुछ नहीं ये तो उसकी आंख का है काजल ।।
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जमाने की नजर मे तुम बहकता इक शरारा हो
मेरी नजरों में तुम यारा मोहब्बत का इशारा हो
तुमही फूलों की हो खुशबू तुमही किश्ती किनारा हो
तुमही से आरजू मेरी तुमही ही मेरा सहारा हो
जिधर देखूं तुम ही तुम हो तुमही मेरा नजारा हो-
जब मेरा ईश्वर मेरे साथ है !
तो क्या फर्क पड़ता है कि
कौन कौन मेरे खिलाफ है!!-
बड़ा मुश्किल काम दे दिया
क़िस्मत ने मुझको!
कहती है! ....
तुम तो सब के हो गए हैं!
अब ढूंढ़ो उनको! जो तुम्हारे है !!!
जो महसूस करते हैं, वही बयाँ कर देते हैं
हमसे लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी नहीं होती
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अगर ताज सर पर हो जो हमारे .........
तो लाखों है बनते दोस्त यहां हैं ...............
मगर इस फकीरी में तेरा इम्तिहा है...............
कौन कौन अपना बस इस जहां हैं........-
यकीन था
कि मुझे भूल जाओगे तुम ..
खुशी इस बात की है ..
कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे..!!-