उन्हें कामयाबी में सुकू नजर आया वो दौड़ते गए,
हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए...!
ख़्वाईशो के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है,
इतना तो जीना भी नहीं, जितना तू मर रहा है...!
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वंश चौहान कुल राजपूताना धर्म क्षत्रिय निभान... read more
गमों के बोझ तले, आहिस्ता आहिस्ता सांस मेरी
शामिल बहुत कुदरत, इसमें हैं मेहरबानियां तेरी
छूटे गली ये जिंदगी की, बाहों मे लेले,तू मौत तेरी-
सोचा ना था, करके इश्क़ से बेरूखी
मुझे मेरा इश्क़ कुछ इस तरह मिलेगा
इश्क़ के जिसने पढ़े ना ढाई आखर
उसे हमदम भला इतना प्यारा मिलेगा
जी ने भंवर ही को मान लिया जिंदगी
न सोचा था उसे यूं किनारा मिलेगा
है जिंदगी तो, आयेंगे ये झंझावात भी
एक दूजे का नीरज हमे सहारा मिलेगा-
हसरत जिन्हें हो जिन्दगी मे आजादी की
नही मनाते मातम, वो फिर बर्बादी की-
मुश्किल है वक्त आज, पर न हारो हिम्मत
निकलेगा एक रोज तेरे भी सपनों का सूरज
माना की दिन धुंधला शाम बोझिल है आज
तय है मगर ये भी, की जिंदगी छेड़ेगी साज-
नाम ना लो सामने मेरे, अपने परायों का
नहीं चाहता ज़िक्र अब मै इन बयारो का-
करोगे किस पर यकीं, की बड़ी मुश्किल है
है दुनियां मे कौन ! जो यकीं के काबिल है
अंत साथी कौन साथ ! ये तो सब जानते हैं-
मिट्टी से बना, मिट्टी ही है होना
फिर हैसियत का क्या है रोना !
सिकंदर भी, अकबर भी थे यहां
भटकता भी न कोई दफ्न वे जहां-
सच मे शायद इंसान है वह लोग
दर्द मे जो दूजो को देख सहम जाया करते हैं-