Neeraj Raghuwanshi   (©नीरज रघुवंशी)
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RINS POETRIES
Joined 25 September 2019


RINS POETRIES
Joined 25 September 2019
12 OCT 2022 AT 21:27

तूने देखा मुझे तिरछी नज़र ऊंची सी भौं करके,
भला औकात क्या थी हम तुम्हें इग्नोर कर पाते,

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26 AUG 2022 AT 14:57

तू कदम तो बड़ा इक दफा राह में,
कुछ न कुछ दूरियां तय तो हो जाएंगी,
तुझको डर है कभी चांद मिल पाएगा,
पर किरण तो तेरे पास आ जाएंगी,

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15 AUG 2022 AT 8:57

🇮🇳मैं भारत🇮🇳
में आज जैसा दिख रहा,
एकदम संघर्षों से परे,
लोकतंत्र की छाया में,
सुव्यवस्थित काया में,
पीछे इसके सौ दर्द छिपे,
कई मर्दानी कई मर्द छिपे,
जिनके लहू के कतरों से,
लोहे से दृढ़ संकल्पों से,
आल्प्स से पर्वत तोड़ दिए,
पश्चिम के समंदर मोड़ दिए,
तब मैंने पुनर्जन्म लिया,
बेड़ी-जंजीरों से परे,
में आज जैसा दिख रहा,
एक दम संघर्षों से परे,

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10 AUG 2022 AT 14:22

लड़ना-भिड़ना, रोना-धोना और फिर एक होना,
बस यही जो रार है भाई बहन का प्यार है,

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26 JUL 2022 AT 22:00

तुम परदानसी को ऐ परदा मुबारक,
हमें भी हमारी शान-ऐ-शौकत भली है,

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13 JUN 2022 AT 22:20

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22 MAY 2022 AT 22:43

मेरा अपना तजुर्बा कह गया मुझसे,
ऐ दुनिया कुछ नहीं हमसे दिखावा चाहती है,

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19 MAY 2022 AT 18:24

तेरे बगैर जिंदगी का मज़ा क्या है
तू मेरे पास में होता तो जिंदगी होती

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13 MAY 2022 AT 22:50

रूठते तुम रहो हम मनाते रहें
उम्र भर सिलसिला यूं चलाते रहें,

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3 MAY 2022 AT 7:32

अक्षय तृतीया
एवं
भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव की बहुत बहुत सुभकामनाएँ

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