पता था जिसका तेरी गलियां आज दर दर होने को है
पत्थर से गुलज़ार हुआ दिल अब फिर पत्थर होने को है।-
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∆ तारीफ़ तेरी... read more
अब जताएं क्या, जानती है सब उसकी आंखें
जानना क्या है , कहती है सब उसकी आंखें
चाहत है उन्हें भी जाना जब, गुजरे पास
से तो आहट भी पहचानती है उसकी आंखें ।-
फासले बना रखे हैं दिलपसन्द होने तक
किरदार पर तेरे न कोई उंगली उठा सके
हंसते चेहरे बोलती आंखें है नापसंद
लोगों को,चाहूँ न कोई नज़र लगा सके
न निहारूँ तुझे तो
कहाँ खुश रह लेते हैं
न है पास तस्वीर बस
दिल मे झांक लेते हैं ।-
नज़रअंदाज़ कर देते थे जहाँ
वहीं रोज रुक जाती है निगाहें
वो बैठे है पास में
कभी कभी
ये एहसास काफी होता है ।-
हो तौर तरीके इज़हार के वो किताब दे दो ,
मोहब्बत के सलीकों का हिसाब दे दो,
हैं गुनाहगार तो फिर सजा दे दो
बात करने की कोई तो वजह दे दो
खता हो जाती है गर रास्ता न हो
मिले सुकून तेरी एक मुआफी में
नादानियां, बचकानियां सब शामिल इश्क़ में
गलत सही कहाँ समझ आता है खुमारी में ।-
कर दिया ज़ाहिर ,डर था कि खो न दूँ
गज़ब ये के एहसास पढ़े ही नही गए ,
चाहत थी कि ऑंख भर देख सकूँ तुझे
सितम ये के दीदार को भी तरस गए ।
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कहानियां कहती आंखें तेरी
ज़ुल्मी इज़हार-ए-लब्ज़ हो गए ,
स्नेह की अभिव्यक्ति अदाएं तेरी
बदनाम कागज़ के शब्द हो गए ।-
गुहार लगाए मदद की, तो थाम लेना हाथ खींचना नही
अपना दर्द बताये अश्रु कोई तो
अदा करना कीमत उसकी, उपवन अपना सींचना नही ।
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हो जाये जुदा जो बादलों से बूंदे, तन्हा सफर में हालात होते हैं
परछाई सा व्यक्तिव रखने वाले भी कहां अंधेरे में साथ होते हैं।-
नखरे, नाराजगी, नादानियाँ 'है मंजूर सब'
देख कर फेर लेना नज़रे, मुह मरोड़ना सब
देख लूं ज़ी भर के यूँ सामने ही रहा करो
देखता हूं चुपके से, तो देख लेते है सब
बयां कर देती है चुप्पी शब्द जरूरी है क्या
लिखती है नज़रे तेरी कलम जरूरी है क्या
बूझ लेता हूँ पहेलियाँ, इशारे, यूँ घुमाना
उँगलियों से जुल्फें, होठों को कतरना सब ।-