याद आती है, क्यूं रुलाती है,,याद आती है, क्यूं रुलाती है मुझे।।तेरी यादें जो हैं मेरे दिल में बसी,,उन यादों को कैसे भुला पाऊंगा।।तू जो यूं रूठ कर दूर जाने लगी,,कैसे वापस मैं तुझको बुला पाऊंगा।।राह में छोड़कर यूं चले जाते हैं जो इंसान,,वो फिर नहीं आते।। -
याद आती है, क्यूं रुलाती है,,याद आती है, क्यूं रुलाती है मुझे।।तेरी यादें जो हैं मेरे दिल में बसी,,उन यादों को कैसे भुला पाऊंगा।।तू जो यूं रूठ कर दूर जाने लगी,,कैसे वापस मैं तुझको बुला पाऊंगा।।राह में छोड़कर यूं चले जाते हैं जो इंसान,,वो फिर नहीं आते।।
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मैंने सोचा है कि तुझको भुला दूंगा एक दिन,,तेरी यादों को ज़हन से मिटा दूंगा एक दिन।।जो रखे हुए हैं संभाल कर मैंने अपने बस्ते में,,तेरे दिए हुए ख़तों को जला दूंगा एक दिन।।कभी तो एक रात तेरे ख्वाबों के बिना गुज़रेगी,,कभी तेरी याद के बिना गुज़ार दूंगा एक दिन।।ये जिसने मेरे दिल को जला कर ख़ाक कर दिया,,इस मोहब्बत की आग को बुझा दूंगा एक दिन।। -
मैंने सोचा है कि तुझको भुला दूंगा एक दिन,,तेरी यादों को ज़हन से मिटा दूंगा एक दिन।।जो रखे हुए हैं संभाल कर मैंने अपने बस्ते में,,तेरे दिए हुए ख़तों को जला दूंगा एक दिन।।कभी तो एक रात तेरे ख्वाबों के बिना गुज़रेगी,,कभी तेरी याद के बिना गुज़ार दूंगा एक दिन।।ये जिसने मेरे दिल को जला कर ख़ाक कर दिया,,इस मोहब्बत की आग को बुझा दूंगा एक दिन।।
लगता है मेरा तुम्हें भुला पाना मुश्किल है।।तुम्हारी यादों से पीछा छुड़ा पाना मुश्किल है।। चाहत तो है तुमसे गले मिलने की, मगर,,नज़रें भी अब तुमसे मिला पाना मुश्किल है।। हर दफ़ा इस मोहब्बत के खेल में हम हारे हैं,,मेरे लिए इस रिश्ते को निभा पाना मुश्किल है।। तुम जिस तरह से हमसे रुसवा हुए हो, जोशी,,लगता है अब तुम्हें मना पाना मुश्किल है।। -
लगता है मेरा तुम्हें भुला पाना मुश्किल है।।तुम्हारी यादों से पीछा छुड़ा पाना मुश्किल है।। चाहत तो है तुमसे गले मिलने की, मगर,,नज़रें भी अब तुमसे मिला पाना मुश्किल है।। हर दफ़ा इस मोहब्बत के खेल में हम हारे हैं,,मेरे लिए इस रिश्ते को निभा पाना मुश्किल है।। तुम जिस तरह से हमसे रुसवा हुए हो, जोशी,,लगता है अब तुम्हें मना पाना मुश्किल है।।
इतने ज़ख्म तेरे सह गया तो शायद तू हैरान है,,अब क्या मुझसे मेरी जान माँगने आई है।। तेरे लगाए इल्ज़ामों ने मुझसे मुझको छीन लिया,,अब तू नादान मुझसे मुझे माँगने आई है।। -
इतने ज़ख्म तेरे सह गया तो शायद तू हैरान है,,अब क्या मुझसे मेरी जान माँगने आई है।। तेरे लगाए इल्ज़ामों ने मुझसे मुझको छीन लिया,,अब तू नादान मुझसे मुझे माँगने आई है।।
तेरी ज़िंदगी में कोई तेरे ख़ास ही नहीं बचे,,तेरे मयख़ानों में आने वाले अय्याश़ ही नहीं बचे।।जिस तरह से तूने मेरी ख़्वाहिशें ठुकराई हैं,,अब मेरी ज़िंदगी में कोई काश़ ही नहीं बचे।।अब तू परेशान है मेरी बेपरवाही से,,मेरे दिल में मेरी जान एहसास ही नहीं बचे।।तू दर-ब-दर शौक़ से अपनी बेगुनाही साबित कर,,मेरे दुख बयां करने को अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे।। -
तेरी ज़िंदगी में कोई तेरे ख़ास ही नहीं बचे,,तेरे मयख़ानों में आने वाले अय्याश़ ही नहीं बचे।।जिस तरह से तूने मेरी ख़्वाहिशें ठुकराई हैं,,अब मेरी ज़िंदगी में कोई काश़ ही नहीं बचे।।अब तू परेशान है मेरी बेपरवाही से,,मेरे दिल में मेरी जान एहसास ही नहीं बचे।।तू दर-ब-दर शौक़ से अपनी बेगुनाही साबित कर,,मेरे दुख बयां करने को अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे।।
उससे जुदा हुए तो मानो जैसे साँस ही नहीं रही,,हिज्र की आग में ऐसे जले की ख़ाक ही नहीं रही।।एक रोज़ माँगा था, दो पल का वक्त उससे,,उस दिन के बाद उससे कोई आस ही नहीं रही।।सिर्फ उसकी यादों ने ही सताया हुआ था मुझको,,बाकी उसकी कोई बात याद ही नहीं रही।।जो ज़ोर करके ले गए उन्होंने पा लिया उसको,,जो इश्क करते रह गए उनकी ज़ात ही नहीं रही।।इतना मुश्क़िल नहीं है किसी को भुला देना, जोशी,,आज कल मोहब्बत में वो बात ही नहीं रही।। -
उससे जुदा हुए तो मानो जैसे साँस ही नहीं रही,,हिज्र की आग में ऐसे जले की ख़ाक ही नहीं रही।।एक रोज़ माँगा था, दो पल का वक्त उससे,,उस दिन के बाद उससे कोई आस ही नहीं रही।।सिर्फ उसकी यादों ने ही सताया हुआ था मुझको,,बाकी उसकी कोई बात याद ही नहीं रही।।जो ज़ोर करके ले गए उन्होंने पा लिया उसको,,जो इश्क करते रह गए उनकी ज़ात ही नहीं रही।।इतना मुश्क़िल नहीं है किसी को भुला देना, जोशी,,आज कल मोहब्बत में वो बात ही नहीं रही।।
किस तरह तुझको छीन कर लाऊं तुझसे,,कैसे तेरी चाहतें कमाऊं तुझसे।। हार चुका हूं मैं तेरी बेपरवाही से,,कब तलक भला मोहब्बत जताऊं तुझसे।। तेरी नज़रों में मेरे लिए इज़्ज़त ही नहीं,,भला किस तरह नज़रें मिलाऊं तुझसे।। एक कश्मकश में फंसा हुआ हूं फिलहाल,,दूर जाऊं या क़रीबियाँ बढाऊं तुझसे।। जौन की तरह बर्बाद कर लूं खुद को,,या हाफी सी मोहब्बत निभाऊं तुझसे।। -
किस तरह तुझको छीन कर लाऊं तुझसे,,कैसे तेरी चाहतें कमाऊं तुझसे।। हार चुका हूं मैं तेरी बेपरवाही से,,कब तलक भला मोहब्बत जताऊं तुझसे।। तेरी नज़रों में मेरे लिए इज़्ज़त ही नहीं,,भला किस तरह नज़रें मिलाऊं तुझसे।। एक कश्मकश में फंसा हुआ हूं फिलहाल,,दूर जाऊं या क़रीबियाँ बढाऊं तुझसे।। जौन की तरह बर्बाद कर लूं खुद को,,या हाफी सी मोहब्बत निभाऊं तुझसे।।
अभी तुम मुझसे दूर हो,,किसी नश़े में चूर हो।। के, तुम कभी तो आओगी,,मुझे गले लगाओगी।। ये साँसे थम गईं अगर,,रोओगी मुझको हार कर।। के, तुम हो मेरी ज़िंदगी,,छोड़ो भी ये नाराज़गी।। मैं तुम को भूल जाऊँगा,,ये तुम ना सोचना कभी।। अभी ना जाओ छोडकर,,के दिल अभी भरा नहीं।। -
अभी तुम मुझसे दूर हो,,किसी नश़े में चूर हो।। के, तुम कभी तो आओगी,,मुझे गले लगाओगी।। ये साँसे थम गईं अगर,,रोओगी मुझको हार कर।। के, तुम हो मेरी ज़िंदगी,,छोड़ो भी ये नाराज़गी।। मैं तुम को भूल जाऊँगा,,ये तुम ना सोचना कभी।। अभी ना जाओ छोडकर,,के दिल अभी भरा नहीं।।
तेरी हस़रत कुछ यूं है मुझे,,कि अपने दिल में बसा लूं तुझे।। है जो दिल में, वो बातें सारी,,काश़ मैं एक दिन बता दूं तुझे।। तुझसे बिछड़ना मौत से कम ना हो,,मैं अपनी ज़िंदगी बना लूं तुझे।। मेरी धड़कन तेरे नाम की सदाएं हो,,तू क़रीब हो और ये बुला लें तुझे।। -
तेरी हस़रत कुछ यूं है मुझे,,कि अपने दिल में बसा लूं तुझे।। है जो दिल में, वो बातें सारी,,काश़ मैं एक दिन बता दूं तुझे।। तुझसे बिछड़ना मौत से कम ना हो,,मैं अपनी ज़िंदगी बना लूं तुझे।। मेरी धड़कन तेरे नाम की सदाएं हो,,तू क़रीब हो और ये बुला लें तुझे।।
पूरी महफ़िल में रौनक-ए-शबाब है,,मेरे हाथों में पर बोतल-ए-शराब है।। भुला दिया था दुनिया को जिसके लिए,,असल में वो चेहरा एक नक़ाब है।। लिपट कर बैठा है उससे उसका दुशमन,,हस्ती में अपनी अब वो भी नवाब है।। हवस के पास है खुशियां दुनिया भर की,,मोहब्बत को तो हासिल केवल ख्वाब है।। कोई नहीं है दोषी मेरी इस हालत का,,मुझे पता है, मेरी आदतें खराब है।। -
पूरी महफ़िल में रौनक-ए-शबाब है,,मेरे हाथों में पर बोतल-ए-शराब है।। भुला दिया था दुनिया को जिसके लिए,,असल में वो चेहरा एक नक़ाब है।। लिपट कर बैठा है उससे उसका दुशमन,,हस्ती में अपनी अब वो भी नवाब है।। हवस के पास है खुशियां दुनिया भर की,,मोहब्बत को तो हासिल केवल ख्वाब है।। कोई नहीं है दोषी मेरी इस हालत का,,मुझे पता है, मेरी आदतें खराब है।।