उड़ रहे हैं वो कही दूर ,हमसे की अब अलग आजाद हैं। अलग-अलग राहे, अलग-अलग मंजिल की अब अलग ख्वाब हैं। मिलें फिर किसी मोड़ पर यो ही इक से हम की अब बस इतनी सी चाहत हैं।
लिखतें थे जो इश्क़ कभी कलम से पन्नों में, वो ख़ुद आज इश्क़ से दूर हो गये। ख़त्म पन्ने की भर गई किताब अब इश्क़ की, वो ख़ुद तन्हा रहने को मजबूर हो गये। (Mr.___ Jha)
ना जाने क्यू। वक्त -बेवक़्त हर शब्द हर लफ़्ज ना जाने कब तक, चलता रहेगा ये सब। की मैं रुक सा थक सा ठहर सा गया हूँ अब, ना जाने क्यू । ना सोचता ना सुनता ना समझता हूँ कुछ अब, की मिट सा रहा सब। ना जाने क्यू...... Continue) (The____________)