neeraj dangi   (DANGInomics)
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Joined 16 May 2018


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Joined 16 May 2018
25 DEC 2021 AT 1:05

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19 NOV 2021 AT 20:40

2 1 21 12 22

सर के ताज नहीं हैं हम
कल थे आज नहीं हैं हम


उस लड़की से मिलने वालों
कहना मोहताज नहीं हैं हम

दोस्त, प्यार सब बीते किस्से
धोखे बाज नहीं हैं हम

हम बिसात के खुद मोहरे
चालबाज नहीं हैं हम

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26 OCT 2021 AT 8:50

इन चौराहों, बाजारों में अब भी गूंजे नाम हमारा
हर शख़्स को भा जाते, इतना सा है काम हमारा

जिन लोगों ने देखा दरिया, समझा मेरा गहरापन
उन लोगों से जाकर पूछो, दोस्त क्यों गुमनाम हमारा

मैं रहा हमेशा बिना बिका बाजारों में, नीलामी में
लोगों की हैसियत से कुछ ज्यादा ही है दाम हमारा

उसने बोलीं दिल की बातें और सुनाई मजबूरी भी
आधा भरा हुआ सा और आधा खाली जाम हमारा

वो लड़के जो कहते घूमे अवध नहीं वनवास चाहिए
दांगी, भारत के लोगों में अब तक जिंदा राम हमारा

- Danginomics

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6 SEP 2021 AT 12:34

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25 AUG 2021 AT 18:45

हम थे सूफ़ी, संत, मलंग क्या हमको दुनियादारी से
हम को बच्चा बना गई वो बच्चे दिल की इक लड़की

हम हैं इतने मैले की उसको भी गंदा कर देते
हम को पाकीज़ा बना गई वो अच्छे दिल की इक लड़की

इतने पक्के तो थे हम की सह जाते बिछड़न उससे, पर
हम को भी कच्चा बना गई वो कच्चे दिल की इक लड़की

हय ! 'दांगी' क्या किस्मत पाई तुमने जो उसको पाया
तुम जैसे झूठे को मिल गई सच्चे दिल की इक लड़की

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7 JUN 2021 AT 12:42

इससे ज्यादा आखिर कितना आगे बढ़ सकता हूं
हो गया है इश्क़ मुक्कमल अब सूली चड़ सकता हूं

ख़त जो मुझ तक पहुंचा उस नादां सी लड़की का
मुंह ज़ुबानी याद है मुझको चाहो तो पड़ सकता हूं

ऊंचे तख्त का फरमान है ये काटो जंगल काटो पेड़
राजा की ख्वाहिश है कि हीरे ताज में जड़ सकता हूं

कुर्सी पे जो काबिज़ है, हकदार है लानत पाने का
उसके जुल्मों के काबिल-ए-तारीफ कसीदे गड़ सकता हूं

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13 FEB 2021 AT 11:09

और मोहब्बत में सर अपने इल्ज़ाम लिया है
मैंने दिल का कितना ज्यादा दाम लिया है

अव्वल अव्वल जितनी उससे बात छुपाई
आखिर आखिर उसने सब कुछ जान लिया है

आँख में आंसू भर कर बोली कैसे हो तुम
ख़ैर ख़ुदा की चेहरा तो पहचान लिया है

अगले दिन था मातम हर उस शख्स के घर पर
उस तवायफ ने जिस जिस का नाम लिया है

उस लड़की से कहना कंही मिल जाए तो
तेरे आशिक़ ने बहुत सब्र से काम लिया है

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9 FEB 2021 AT 23:44

श्याम का मिलना है मुश्किल जानती है राधिका
फ़िर क्युं हर बार मिलना ठानती है राधिका

है कोई और राह जो कान्हा को लाई द्वारिका
अब तलक बिरज की गालियां छानती है राधिका

हैं बहुत से और भी जो चाहें लली ब्रसभान को
सबसे बड़ कर सांवरे को मानती है राधिका

यमुना तीरे बज रही है फ़िर वही बंशी की धुन
क्या आरजू मोहन की नहीं पहचानती है राधिका

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28 DEC 2020 AT 16:50

यारों मैंने दुनिया देखी, उसको देखा तो जाना
उसके बाद दिलक़श है तो कुछ उसकी तस्वीर

मेरी हालत को जो देखे वो खुद इस हैरत में हैं
देख के पागल हूं मैं आखिर है किसकी तस्वीर

होंठ गुलाबी, काली आंखें, लाल बिंदी, चांदी रंग
पूरी दुनिया है वो मेरी तुम देख रहे जिसकी तस्वीर

मेरी आँखों में नींद नहीं है ख्वाब सजाउं कैसे मैं
मुझको जगाए रखती हैं ये लड़की इसकी तस्वीर

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7 SEP 2020 AT 20:59

हम तेरे साथ शामिले सफ़र रहे होंगे
जब कितने ही लोग दर बदर रहे होंगे

मुझसे पहले कितनों ने लिखा होगा
कितने कलाम तेरी नज़र रहे होंगे

ये बेल यूहीं आसमाँ नहीं छू रही
इसके सहारे भी कुछ शजर रहे होंगे

हमारे हिस्से में हिज्र आया तो जाना
किस तरह राधा और गिरधर रहे होंगे

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