इस बात के अनजाने से अब नही मिलते
जाने अनजाने से यूंही सब नही मिलते
मिलते है तों कुछ मक़सद होता है
वो पुराने यार मतलब से नही मिलते-
✨Navodayan❤
Delhi university 🎓
यहाँ लिखी हुई कविताये / quo... read more
ज़्यादा की आस का, क्या सबब हुआ
मिलने पर इंसान की नीयत और बिगड़ गयी
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तुम मुझे सब बेझिझक बता पाओ तों ही हम दोस्त है,
वैसे लोग अपने गहरे राज तक सफ़र के अजनबियों को बता देते है-
सूर्य ने केवल प्रकाश प्रदान किया है
प्रकाश से कभी परछाई नही बनी !
मध्यस्थ रास्ता तो पृथ्वी का रहा है
आख़िर अंधकार किसे ही पसंद होगा
वो इसलिए कहीं पौधें आकाश ना छू लें ?
क्या ये प्रतिस्पर्धा वृक्षों में जन्म मात्र से है ?
उत्तर सूर्य की उपास्थि में ही छुपा है
यही कारण है सबमें विविधता का मात्र प्रकाश के होने या ना होने से या नही होने से,
अर्थात् मनुष्य से बहुत पहले ही वृक्षों में वर्ण की उत्पत्ति हो चुकी है और मनुष्य तों सीखता ही प्रकृति से-
सबसे ज़्यादा खूबसूरत,
सबसे ज़्यादा क़हर
किसको अंदाज़ा दरिया का,
कहाँ गए वो नायाब शहर
दो तरीक़े बाक़ी है अब जीने के
एक ज़ख्म और दूसरा ज़हर-
मेरे सामने देखो ज़िम्मेदारियों के पहाड़ खड़े हो गये है
ख़ैर छोड़ो किसको बताऊँ अब हम बड़े हो गये है-
मै गिर जाऊँगा और फिरसे उठूँगा
मुझे अपने इंसान होने का
सबूत अदा करना है-
तेरी नाराज़गी भी जायज़ है और दुःखी होना तो मानो चुभता काटा है
तराज़ू हार जीत का हो सकता है मैंने तों ख़ाली हाथ होते मोहब्बत बाँटा है
जिन तेज लफ़्ज़ों को तुम ग़ुस्सा समझते हो बता दूँ मैंने तों बस प्यार से डाँटा है-