Neeraj Bhatt  
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Joined 18 March 2021


Joined 18 March 2021
25 AUG 2021 AT 21:33

Poetry makes me towering till I die
Poetry, have mercy on me,
Who is sulky and sullen.
Because if I die today,
Let it be before thee.

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23 AUG 2021 AT 19:38

जीवन जब यात्रा पर होता है,
सारा संसार मेरी दृष्टि में होता है

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1 AUG 2021 AT 9:33

ॐ है रक्षक हमारा ॐ करुणाधाम है
ॐ व्यापक ब्रह्म है
ॐ सर्व ललाम है

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30 JUL 2021 AT 4:07

प्रभु चाहे तो पल भर में
जो रिक्त है उसे भर दे
उनकी पा कृपा किरणे
कली हर हिया की खिलती है
संसार के सिंधु में
जिसका सहारा है नहीं कोई
उनके ही सहारे
सब की नैया तिरती है!

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28 JUN 2021 AT 16:02

हमरे हिया के क्रन्दन में भी
तू हस्ते आवs
हम घनघोर बद्री के जलते ज्वाला हैन
तू चिंता मत करs
इ धधक रहल अंतस में
तू नीर बरसाते आवs
हम पतझड़, गाछ, पत्ता पत्ता
शुष्क एकांत हैन
तू हमर जीवन में
बर्षा बन अवश्य आवs!

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21 JUN 2021 AT 15:22

प्रभु की करुणा
यदि चाहो तो पल भर में जो रिक्त है उसे भर दो,
तुम्हारी पा कृपा किरणे, काली हर सिया की खिलती है!
जगत के सिंधु में, जिसका सहारा है नहीं कोई
तुम्हारे ही सहारे, उसकी जर्जर नैया तिरती है !
निराली शक्ति है तेरी, अनोखी तेरी रचना है,
न जिसका मूल है, वह भी अमर लतर पनपती है!

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20 JUN 2021 AT 14:35

प्रभु की करुणा

दयामय, तेरी करुणाधार सब पर नित बरसती है,
गरजता सिंधु, देते मेघ जीवन, वायु चलती है!
न कोई है स्थान ऐसा जहाँ उपस्थित नहीं तुम हो,
तुम्हारी बाहु लम्बी है, सहायता जो सब की करती है,!
हमारी वाह्य चक्षु तुम्हे कुछ लख नहीं पाती,
तुम्हे पहचानता वह जिसको अंतरदृष्टि मिलती है!

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28 MAY 2021 AT 15:40

जल, थल, नभ, सब कुछ दिए, तुम हे करुणा नाथ!
सर्व सहायक तुम सदा, रहते सब के साथ !

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20 MAY 2021 AT 20:13

आश्वासन पुनः मिलने का देकर
मिलन को विस्मृत कर जाती हो
दिए गए वचन को निभाना ,
क्यों बिसार जाती हो ?

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20 MAY 2021 AT 19:53

इस प्रकार मेरे मन में आकर
हृदय में प्रवेश किया न करो
सहसा मेरे दृष्टि के सम्मुख
अकस्मात आ जाती हो तो
अत्यन्त कठिन प्रतीत होता है ।
प्रेम का प्रत्येक पथ
अधूरापन का अनुभव
कराता है , स्वयं को
स्वयं को सन्तुष्ट रखना
अत्यन्त कठिन प्रतीत होता है ।

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